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भारत में महिलाओ / लड़कियों के खिलाफ अत्याचार / बलात्कार की बाढ़ सी से आ गयी है , बलात्कार के बाद वीडियो बना कर नेट में डालने की शर्मनाक घटनाओं को रोक पाने में तंत्र विफल हो रहा है , आखिर क्यूँ. .क्या भारत का कानून इस बारे में लचर है या फिर लागू करने वाले , देश के युवा किधर जा रहें है , क्या युवा शक्ति इस बारे में सोच रही है की कुछ लोग योवाओं को बदनाम करने पर तुले है या फिर युवा इसी को अपना प्राथमिक धर्म मान बैठे है .
सवाल यह है की कौन सोचेगा और कब . क्या देश इस सब को रोक पाने में नाकाम साबित हो रहा है , क्या लोगों को खुद आगे आ कर मुकाबला करना होगा और अगर खुद मुकाबला करने के हालत पैदा हो गए तो क्या होगा , इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती .
बहरहाल अस्मत लुटती रहे और कानून और उसके रक्षक बेहूदा बातें करते रहे , इसे बर्दास्त करने का वक़्त कब ख़त्म होगा ?
सवाल यह है की कौन सोचेगा और कब . क्या देश इस सब को रोक पाने में नाकाम साबित हो रहा है , क्या लोगों को खुद आगे आ कर मुकाबला करना होगा और अगर खुद मुकाबला करने के हालत पैदा हो गए तो क्या होगा , इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती .
बहरहाल अस्मत लुटती रहे और कानून और उसके रक्षक बेहूदा बातें करते रहे , इसे बर्दास्त करने का वक़्त कब ख़त्म होगा ?महिलाओं का मांस कब तक गीधों को नोचने और खाने की आजादी रहेगी ?
गीधों से मेरा मतलब उन नरपिशाचों से से है जो इस तरह का दुष्कर्म कर रहें हैं ?
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