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कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की कथित अश्लील सीडी भले ही क़ानूनी रूप से भले ही सार्वजनिक नहीं हो पाई हो, पर इसकी चर्चा ज़ोरों पर है , सही या गलत , इसका पता तो बाद में चलेगा , पर तात्कालिक असर ये हुआ कि सिंघवी को कई पदों से अलग होना पड़ा और छवि को नुकसान पहुंचा वो अलग से .
मुद्दा ये नहीं है कि सिंघवी कैसे थे , कितने बेईमान है या ईमानदार , बल्कि मुद्दा ये है क्या, इस तरह की सी डी सिर्फ असली ही हो सकती है , क्या फर्जी सी डी नहीं बनायीं जा सकती . हमारे सिनेमा वाले अक्सर सी डी में छेड़ – छाड़ कर फिल्मों में इस्तेमाल करते है , बस ज़रूरत है पैसे की और साथ में ऐसे तेकनिसीयंस की जो अपने काम में महारत हासिल किये हों .
अगर पैसा है तो कोई भी ऐसी सी डी बनवा सकता है , जिसे पहली नज़र में सच ही माना जायेगा और अगर ऐसी सी डी झूठी भी हो तो उसे झूठी साबित करते करते , इतना वक़्त निकल जायेगा की तब तक सम्बंधित व्यक्ति की मान मर्यादा के परखच्चे उड़ चुके होंगे , जिन्हें किसी कीमत पर फिर से जोड़ कर सम्बंधित व्यक्ति की ध्वस्त मान मर्यादा को फिर से वापसी नहीं की जा सकती .
अब सवाल यह है कि क्या इसका कोई उपाय है ? ज़ाहिर है नहीं ? क्यूंकि आज सोशल मीडिया एक ऐसा हथियार बन चुका है जिसका इस्तेमाल कर किसी कि भी इज्जत सरे आम उछाली जा सकती है और कोई कुछ नहीं कर सकता .कल इसका शिकार कौन बनेगा , किसी को पता नहीं ?
एक ऐसा हथियार जिसे चलाया जाने का अधिकार हर किसी को है पर रोकने का किसी के पास नहीं .
आज कुछ लोग खुश हो सकते हैं , पर कल के दिन ये हथियार इन खुश होने वालों के खिलाफ चल्या गया तो क्या होगा ? क्या इस पर सोचने कि ज़रूरत
नहीं हैं ?
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