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उत्तर प्रदेश में चुनाव नगाड़ा बजने जा रहा है , किसी भी पल , चुनाव की धम धम शुरू हो सकती है .शायद मायावती जी ने अपना सरकारी बंगला छोड़ कर इसका पूर्व संकेत अपने पार्टीजनों को दे दिया है.
उ. प्र. की मुख्यमंत्री मायावती के मन और दिल में क्या है , शायद ही कोई जानता हो , कहा तो यंहा तक जाता है कि वह खुद भी नहीं जानती की उनका मन , अगले पल क्या करने वाला है .
२०१२ में उ. प्र. में चुनाव. होने वाले हैं , पर इस बात की भी प्रबल संभावना है , मायावती जी समय से पूर्व ही चुनाव कराने की घोषणा कर डालें .
आज मायावती सरकारी मुख्यमंत्री निवास को छोड़कर उस बंगले में शिफ्ट हो गई हैं जो उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से मिला था। मॉनसून सत्र से 72 घंटे पहले सीएम के इस कदम को हर कोई अपने नजरिये से देख रहा है।
सीएम के नए सरकारी आवास का पता अब 13, माल एवन्यू हो गया है। ऐसा नहीं है कि मायावती ने सरकारी आवास छोड़ दिया है। वह 5 कालीदास मार्ग यानी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर लोगों से मिलने-जुलने के लिए आती-जाती रहेंगी।
मायावती के आवास बदलने को लेकर कयासों का दौरा शुरू हो गया है। उन्होंने ऐसी ही शिफ्टिंग साल 2003 में भी की थी और फिर 25 अगस्त 2003 को आंबेडर पार्क परिवर्तन रैली में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 13 मई 2007 को जबरदस्त बहुमत के साथ सत्ता हासिल करने के बाद यह पहला मौका है जब वह अपने पूर्व मुख्यमंत्री आवास में शिफ्ट हो गई हैं।
कहा यह भी जा रहा है कि 13 का अंक मायावती के लिए शुभ है। ऐसे में सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि आखिर मायावती के दिमाग में क्या चल रहा है। क्या 5 अगस्त से शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र में वह कुछ ऐसा कर सकती हैं जिसके बारे में किसी ने सोचा तक न हो। चर्चा है कि वह इस सत्र में बहुतम साबित करने के लिए वोटिंग करा सकती हैं या फिर विधानसभा भंग करने जैसे कदम भी उठा सकती हैं।
बसपा के राज्य में बढते विरोध और असंतोष के मद्देनज़र अगर मायावती जी ,विधानसभा को भंग कराने का फैसला ले लें तो कोई आश्चर्य न होगा ,इस तरह वो एक तीर से कई शिकार कर सकतीं हैं , पहला तो यह कि उन्हें सत्ता का कोई लालच नहीं हैं . दूसरा विपक्ष उन्हें काम नहीं करने दे रहा , इस लिए वह फिर से जनता की अदालत में जा रहीं हैं .
चूँकि चुनाव वैसे भी अगले साल होने ही हैं , इस लिए ४-६ महीने पहले चुनाव हो भी जातें हैं तो , मायावती को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला , क्यंकि सत्ता तो उनके पास ही रहनी है .
एक कहावत है ” माया बड़ी ठगिनी ” , सो माया का मन किस पल किधर पलट जाए या तो वो खुद जाने या उनका मन ………?
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