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मालिक नहीं नोकर बनना चाहता है आज का युवा ……….

दिल की बात
दिल की बात
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सरकारी नोकरी प्राप्त करने की लिए युवाओं में इतनी मारा मारी है की यदि एक चपरासी की नोकरी भी निकलती है तो उसके लिए उच्च डिग्री धारक भी कोशिश करते हैं| क्योंकि उनको लगता है की सरकारी नोकरी मिल गयी तो आराम ही आराम है| वो अपने पिता के द्वारा शुरू किया हुआ काम को नही अपनाता जिस काम से उसका भरण पोषण और शिक्षा हुई है उसको शरम आती है अपने पिता के काम को करने में वो शरमाता है जूता ठीक करने में, लोहे का काम, खेती करने में ….. आदि आदि, जबकि वो उस काम का मलिक होता है, किंतु उसको नोकर बनने में गर्व होता है| क्या ये दोष हमारी शिक्षा प्रणाली का नही है, जो हमे स्वालंबी बनाने के स्थान पर क्लर्क, चपरासी या सरकारी नोकर बना रही है| आज़ादी के बाद हमारी शिक्षा की मुख स्वालंबी फसल तेयार करने की ओर मोड़ दिया गया होता तो आज 64 सालों के बाद (मेरी नज़र में) बेरोज़गारी का जो रूप आज है वो बहुत हद तक नही के बराबर होता……

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