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मोती अरमानों के

Myworld
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” मैं वक्त की आंधी में ऐसा बहा ,
दो घड़ी खुद के पास रुक ना सका !
ठहरी धूप की गर्म रोशनी मेरे सर पर,
मैं सुकून के अंधेरों में छुप ना सका !!”
फुरसत नहीं एक पल यहां किसी को,
आँखों की इबारतें पढ़ने की,
कोरे कागज़ पर मैं अपनी कहानी का,
एक शब्द भी लिख ना सका !!”
एक एक कर गिरते गए ,
मोती अरमानों के मेरी आँखों से,
बढ़ाकर हाथों को भी मैं चुग ना सका !!”

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