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“जातिगत जनगणना…वोट की राजनीती “

aaj ka bharat
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जनगणना २०१० के विषय में सभी को ज्ञात है की जनगणना हो रही है किन्तु कुछ सवाल यहाँ पर खड़े होते है कि कुछ राजनेता जो अपनी राजनितिक जमीन बचाने के लिए जातिगत आधार पर जनगणना चाहते है क्या मकसद है उनका सोचते ही रोंगटे खड़े हो जाते है क्यूंकि जो बहस आज आरक्षण के हो रही है शायद कल जातिगत जनगणना पर हो,क्यूंकि लालू यादव,रामविलास पासवान , मायावती ,मुलायम सिंह,शरद यादव ,ये सभी नेता अपनी राजनितिक रोटियां सकने के लिए और किसी वर्ग विशेष को ध्यान में रखकर ही अपनी जुबान खोलते है हाल ही में इन महान नेताओं ने अपनी जुबान खोलकर जनगणना जातिगत आधार पर करे कि मांग प्रधानमंत्री जी से की,अगर ऐसा हुआ तो इन नेताओं को अपने भाषण तैयार करने और आसानी होगी कि किस शहर में क्या बयान देना है कहाँ पर कौनसे वोट ज्यादा है किस जाती के लिए कितना आरक्षण कि मांग करना है आदि !आज हर प्रान्त में छोटी छोटी राजनितिक पार्टियाँ कुकुरमुत्ते कि तरह उग आई है जिन्हें सिर्फ नेताओं ने अपनी स्वार्थ सिद्धि हेतु खड़ा किया है अगर उपरोक्त नेताओं कि बात कि जाये तो सभी नेता गले गले तक भ्रस्टाचार में डूबे हुए हैंकोई चारा घोटाला करके बैठा है तो कोई आय से अधिक संपत्ति अर्जित कर क़ानून का सामना कर रहा है इन भ्रष्ट नेताओं की सफलता का राज यही है की हम आम जनता इनके द्वारा उठाये गए मुद्दों में भ्रमित होकर इनके द्वारा किये गए काले कारनामों को भूल जाते है!

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