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दोस्तों देश इस समय नाजुक दोर से गुजर रहा है दंगो की आग ne देश को हिला कर रख दिया है ! देश की जनता अलग अलग राज्यों में जाने को भागने को मजबूर हो रही है ! भय , दहशत का माहोल बंगलादेशी घुसपैठियों की देन है लेकिन भावनाओं में बहकर देश का मुसलमान भी धर्म के नाम पर आगजनी कर रहा है utpaat मचा रहा है !! आसाम , के बाद मुंबई , लखनऊ , हैदराबाद सभी जगहों पर आगजनी पथराव की बाढ़ सी आ गयी ! जिसकी वजह से bhusnkhyak समाज निहत्था सा हो गया है और शायद लाचार और अकेला भी ! चुकी जिन लोगो से उसे उम्मीद थी की वे उसकी आवाज को उठाएंगे वे अपनी राजनीति रोटिया सकने में व्यस्त हैं ! मेरा इशारा उन लोगो की तरफ है जो खुद को देश का सबसे बड़ा रहनुमा कहते हैं यानि केजरीवाल और महात्मा अन्ना हजारे ! जहा केजरीवाल महाशय कोयले घोटाले पर प्रदर्शन , गिरफ्तारिया देकर अपने आपको सुर्खियों मे लाना चाहते हैं वही खुद को महात्मा की रेस में लाने वाले श्री अन्ना हजारे साहब के मुख पर भी इन हिंसाओ के खिलाफ बोलने पर ताला लगा है ! लेकिन सवाल उठता है की क्या अब इस देश में भ्रष्टाचार और जन्लोक्पाल , ही मुद्दा रह गया है ! या फिर केजरीवाल और टीम अन्ना की यह चाल है देश का ध्यान असम दंगो से हटाने के लिए ? अथवा भर्ष्टाचार के आंदोलनों को हवा देकर और कोंग्रेस को गरियाकर केजरीवाल और टीम अन्ना खुद को विपक्षी पार्टियों से बेहतर दिखाना चाहती है जिसका लाभ उसे चुनावों में मिल सके ? सवाल सबसे गम्भीर यह है की क्या केजरीवाल का कोई गुप्त एजेंडा है जिसके तहत वह ठीक उस समय भर्ष्टाचार का मुद्दा उठा रहे हैं जिस समय देश में भय , दहशत और अस्थिरता का माहोल है वही ठीक इस समय देश की बहुसंख्यक aabadi में तेजी से जागरूकता भी आ रही है ! लेकिन सवाल सबसे गम्भीर यह है की केजरीवाल किसके हाथो की कठपुतली हैं चुकी एक बार पहले भी ये जनाब बाबा रामदेव के काले धन के मुद्दे को kamjor करने का काम कर chuke हैं और अब फिर से hinduo को सुलाने के लिए हाजिर हैं !
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