ajad log
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माना कि धरती के नक़्शे में………… . तादात हमारी कम है..।
महाकाल के भक्त हैं ………क्या इतना गौरव कम है…?
टकरा पाये हमसे कोई………… .. किसमें इतना दम है..?
हम राम-कृष्ण के वंशज ……… जग में किससे कम है..??
…
गीदङ भभकी से ङर जाये……… वो हिन्दू की संतान नहीं..।
हम शेर हैं दुनिया के…………. .. शायद तुम्हें पहचान नहीं..।।
कान खोल कर सुन ले दुश्मन… उसके चहरे का खोल बदल कर रख देंगे .
जो बीता इतिहास हुआ … अबकी भूगोल बदल कर रख देंगे….!
इस बार जो तुमने गोधरा की जुर्रत की तो…. फिर कुछ भी आबाद नहीं होगा…
हिन्दू तो होगा … पर देश में दुबारा कभी जेहाद नहीं होगा….!Jai Mahakal!!!
यह कविता मेरे फेसबुक मित्र भास्कर झा जी द्वारा लिखित जो उन्होंने मुझे मेल की
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