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इस्लामिक धर्म गुरु आखिर चाहते क्या है ?

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सलमान रुश्दी के भारत आने की खबर क्या चली की इस्लाम के धर्म गुरुओ ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया और सरकार पुलिस भी उनके दबाव में दबती गयी कारण वोट बैंक की राजनीति . लेकिन कारण जो भी हो यहाँ एक बात गोर करने लायक है जिस तेवर से इस्लाम के धर्म गुरुओ ने सलमान रुश्दी की आवाज को दबाया है वही आवाज , वही तेवर वह आतंक को दबाने में क्यों नही लगाते ? वही तेवर वह कसाब और अफजल जैसे आतंकियों को फ़ासी पर लटकाने के लिए सरकार को क्यों नही दिखाते ? क्यों सरकार पर दबाव नही बनाते की बार -बार ला एंड ऑर्डर के नाम पर अफजल की फ़ासी की सजा को लंबा खीचना इस्लाम की , मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुचाना है ? इससे आम भारतीयों की नजर में मुसलमानों की छवि को ठेस पहुचती है क्यों नही कहते ये सब सरकार से ? जब – जब कभी तसलीमा नसरीन या फिर सलमान रुश्दी जैसे लेखक इस्लाम के कुछ मुद्दों से असहमत होते है तब – तब उनके खिलाफ फतवे निकलते है उन्हें जान से मारने की धमकिया मिलती है लेकिन जब एम् ऍफ़ हुसैन जैसे लोग जिस देश की खाते है उसी देश की संस्कृति को ठेस पहुचाते है तब इस्लामिक धर्मगुरु कहा होते है ? जब लव जेहाद का खेल सामने आता है तब कहा होते है इस्लामिक धर्म गुरु ? आखिर क्यों मुसलमानों को नही समझाते की गौ वध हिन्दुओ की धार्मिक भावनाओं का अपमान है ? आखिर क्यों त्योहारों पर गौ वध या गौ बलि पर प्रतिबंध नही लगवाते ? आखिर क्यों काश्मीर में तिरंगा न फहराने देने का विरोध का करते , आखिर क्यों कर्नाटक के ईदगाह मैदान में तिरंगा न फहराने देने का विरोध करते ? आखिर क्यों धर्म आधारित आरक्षण का विरोध नही करते ? आखिर क्यों आर्थिक आरक्षण की वकालत नही करते ? अकेले सलमान रश्दी का विरोध , तसलीमा नसरीन का विरोध करके वह इस्लाम की छवि को सुधार सकते है ? क्या किसी की अभिव्यक्ति को दबाकर इस्लाम को चार चाँद लग सकते है ? आखिर चाहते क्या है इस्लामिक धर्म गुरु क्या यह उनका दोहरा रवैया नही है जो केवल इस्लाम , इस्लाम और केवल इस्लाम पर ही उन्हें पर इन्साफ नाइंसाफी की याद दिलाता है भले ही कानून को ताक पर क्यों न रखना पड़े ?

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