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हरयाणा के सिरसा जिले से एक महिला हाथ में झंडा लेकर पैदल चली ६५ किलोमीटर का सफ़र तय करते ही वह एक हीरो बन गयी .हिसार में उस महिला को फुल मालाओ से लाद दिया .यह पहली बार था जब कोई भारतीय नागरिक इस तरह से देशभक्ति के जनून में पदल निकला और शहरवासियो ने फुल मालाओ से सवागत किया .पहली बार इसलिए चुकी यह कोई किसी मिनिस्टर का बेटा या बेटी नही था .जैसे ही वह महिला हिसार से निकली १५० आदमी भी इस मानसिक गुलामी से आजादी पाने के लिए पीछे पीछे डेल्ही हो लिए .यह केवल हरयाणा की ही बात नही है पूरे देश में जगह जगह से आम आदमी अपने गुस्से का इजहार करने उन लोगो को चेताने जा रहा है जो एक जू की तरह हमारे सर पर चढ़ कर पिछले ६४ सालो से खून पि रहे है .ये महज एक लोकपाल के लिए लोग सडको पर नही उतर रहे लोगो का उबाल है ये, किसी का महंगाई के पर्ती ,किसी का भर्ष्टाचार के पर्ती,और किसी का बाटो और राज करो की जो निति है सरकार की उसके खिलाफ . जो जनता कल तक पुलिस से डरती थी ,मंत्रियो से डरती थी अप्सरो से डरती थी आज व्ही जनता आँख में आंख मिलाकर अपने हको की लड़ाई लाद रही है .अब आप ही सोचिये इस देश में दिग्विजय जी को आजादी है की वो हिन्दुओ को आतंकवादी कहे ,कलमाड़ी ,शीला को आजादी है वह देश को लूटे . आरक्षण जैसी तुछ राजनीती करने की नेताओं को आजादी है तो इस देश की जनता को भी आजादी है की वह आम आदमी अपने हको की लड़ाई लड़े ,बिना कुछ तोड़े फोड़े अनशन करे ,देश के राष्ट्रिय धवज को अपने हाथो में लेकर सडको पर निकले ,लहराए ,वन्दे मातरम के नारे लगाये .क्यों की ये जनता भाड़े की नही है इसलिए ये वही जनता है जो वोट देना जानती है तो कुर्सी से उतारना भी जानती है . इसलिए इस जनता की यही सच्ची आजादी कही जाएगी जो अन्ना जी ने हमें दी है आज लोग जातिवाद के बन्धनों से मुक्त होकर एकजुट हो रहे है यही सच्ची आजादी है जिसमे लोग अपने अधिकारों के लिए जागरूक हो रहे है .मै आप सभी से एक विनती करता हूँ इस अनशन अधिक से अधिक अपना योगदान दे गाव गाव जाये दोस्तों के बीच इस पर विचारे इसे महज एक विचार नही एक विचारधारा बनाये .क्यों की इस देश कपिल सिब्बल बार बार जन्म लेंगे और इन जैसे लोगो से मुक्ति के लिए न तो एक अन्ना हजारे काफी होंगे और न ही एक आन्दोलन बार बार लड़ना होगा . बार बार हमें संघठित होना होगा क्यों की रन के बाद भी राक्षस जाती का अंत नही हुआ …..ये बार बार जन्म लेंगे और हम बार बार अन्ना बनते रहेंगे .
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