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सुरक्षा न संरक्षा ट्रेनें 24घण्टे लेट

चैतन्य
चैतन्य
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सुरक्षा, संरक्षा और समय पालन के ध्येय वाक्य के साथ देश भर में संचालित हो रही भारतीय रेलवे की हकीकत बीते पखवाड़े की दो घटनाओं ने खोलकर रख दी है। पिछले साल यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के नाम पर 14 प्रतिशत से ज्यादा रेल किराए में बढ़ोतरी की गई थी लेकिन रेल यात्रियों से लूटपाट, दुव्र्यवहार, दुर्घटनाएं और लेटलतीफी अभी भी भारतीय रेलवे की पहचान बने हुए हैं। छोटे भारत के रूप में पहचानी जाने वाली रेलगाड़ी के डिब्बे अराजकता की मिसाल पेश करते नजर आते हैं। यू ंतो रेल यात्रियों के साथ जहरखुरानी लूटपाट और छीना झपटी की वारदाते आम हैं लेकिन गुरूवार की मध्य रात्रि में जबलपुर से निजामुद्दीन जा रही गोंडवाना एक्सप्रेस के एसी कोच में यात्रा कर रहे मध्य प्रदेश के वित्तमंत्री जयंत मलैया और उनकी पत्नी के साथ लूटपाट करके बदमाशों ने इस घटना को अंजाम देकर इस वारदात को खास बना दिया। इसी तरह शुक्रवार की सुबह ब्रेक फेल हो जाने के कारण देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई जिससे दर्जनों लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों जख्मी हो गए। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी के सबसे बड़े सपनों में से एक भारत में बुलेट ट्रेन को चलवाना है। इस वर्ष का रेल बजट पेश करते समय रेलमंत्री सुरेश प्रभू ने प्रधानमंत्री मोदी के इस सपने को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई थी। लेकिन सुरक्षा संरक्षा और समय पालन के ध्येय वाक्य के साथ देश भर में संचालित हो रही भारतीय रेल सेवा न तो आपने यात्रियों को सुरक्षित यात्रा का पक्का भरोसा दे पा रही है और न ही दुर्घटनाओं को टाल पाने में पूरी तरह सक्षम है। जाड़े के मौसम में रेलगाडि़यों का चैबीस घण्टे तक बिलम्ब से चलने के बाद उनका निरस्त हो जाना आम बात है।
केंद्र की सत्ता संभालने के बाद नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में सदानंद गौड़ा को रेलमंत्री बनाया गया गया था। रेलवे के घाटे और यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी करने के नाम पर सरकार गठन के तुरन्त बाद इन्होंने रेल किराये में 14प्रतिशत से ज्यादा की बढोतरी कर दी। रेल बजट से पहले इस तरह की बढोतरी न तो विपक्षी दलों को रास आई और न ही देश की जनता को। लेकिन मोदी की उम्मीदों के घोड़े पर सवार लोगों को भरोसा था कि किराए में वृद्धि से रेलवे को जो आमदनी होगी उसका उपयोग यात्रियों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए किया जाएगा। अब सरकार का गठन हुए दस माह का समय बीत चुका है। भारतीय रेलवे की कमान भी सदानंद गौड़ा से लेकर सुरेश प्रभु को सौंपी जा चुकी है। लेकिन भारतीय रेलवे की हालत अभी भी ‘प्रभू’ भरोसे ही है। मोदी सरकार के गठन के बाद 26मई 2014 को यूपी के संत कबीर नगर में दिल्ली-गोरखपुर एक्सप्रेस एक खड़ी हुई मालगाड़ी से टकरा गई थी जिससे 11 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद 11अक्टूबर 2014 को गोरखपुर के पास कृषक एक्सप्रेस और लखनऊ बरौनी एक्सप्रेस में भिडंत हो गई जिसमें 12 यात्रियों की जान चली गई। बीती 13 फरबरी को होसुर के निकट एक रेलगाड़ी के आठ बोगियां पटरी से उतर गई और 10 लोग काल के गाल में समा गए। इसके अलावा सर्दी के मौसम में रेल फ्रेक्चर की बजह से और रेलवे क्रासिंग पर तमाम दुर्घटनाएं होना सामान्य बात है। इन दुर्घटनाओं में जन धन की भारी हानि होती है। देश की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण यातायात सेवा अभी तक अपने यात्रियों को सुरक्षित यात्रा का पक्का भरोसा नहीं दे सकी है।
उत्तर भारत के तमाम क्षेत्रों में सम्मानपूर्वक यात्रा करना भी अपने आप में लोग बड़ी उपलब्धि मानते हैं। बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश में हापुड़ और अलीगढ़ के आस पास के क्षेत्र यात्रियों के साथ दुव्र्यवहार के लिए कुख्यात हैं। दिन के समय आरक्षित डिब्बों तक में एमएसटी धारक यात्रियों का कब्जा रहता है और इनका विरोध करने पर परिवार के साथ यात्रा कर रहे लोगों को अपमानित होना आम बात है। महिलाओं और लड़कियों के साथ मनचले छेड़छाड़ करते हैं और विरोध करने पर मारपीट पर आमादा हो जाते है। कई रेलमार्गों पर यात्रियों का सामान छीन कर लुटेरे भाग जाते हैं। पुलिसिया झंझटों से बचने के लिए आमतौर पर यात्री इन घटनाओं की शिकायत तक दर्ज नहीं कराते। लेकिन बीते गुरूवार की रात को जबलपुर से निजामुद््दीन आ रही गोंडवाना एक्सप्रेस के एसी कोच में यात्रा कर रहे मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया और उनकी पत्नी के साथ सशस्त्र बदमाशों ने लूटपाट की। मामला हाईप्रोफाइल होने की बजह से रेलवे पुलिस ने घटना की रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। लापरवाही के आरोप में आरपीएफ के दो कर्मचारियों को निलंबित भी कर दिया गया है। भाजपा सांसद प्रहलाद पटेल ने इस मामले को संसद में भी उठाया लेकिन रेल यात्रियों से लूट की यह भी कोई पहली और अनोखी घटना नहीं है। इससे पहले जनवरी के पहले सप्ताह में बिहार के जमूई जिले के पास हथियार बंद बदमाशों ने टाटा-छपरा एक्सप्रेस में लूटपाट की थी। बिहार में ही दिसम्बर में पाटलीपुत्र एक्सप्रेस में बदमाशों ने लाखों की लूट की। उत्तर प्रदेश के हाथरस के पास भी संगम एक्सप्रेस में बीते साल बदमाशों ने यात्रियों से लाखों रूपये लूट लिए थे।
भारतीय टेªने बिलम्ब से चलने के लिए कुख्यात हैं। सामान्य परिस्थितियों में भी अगर रेलगाड़ी समय से रेलवे प्लेटफार्म पर पहुंच जाए तो यात्रियों को उसे पकड़ने में दिक्कत होती है क्योंकि वे इसकी उम्मीद ही नहीं करते की गाड़ी समय से आ सकती है। हालांकि जाड़े के मौसम में तमाम मौसम संबंधी तर्कों की आड़ में रेलगाडि़यां 20 से 24 घण्टे तक देरी से चलती रहती हैं और कई बार तो उन्हें निरस्त भी कर दिया जाता है। इस बार के रेल बजट में रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने किसी नई रेल गाड़ी का ऐलान नहीं किया। उन्होेंने पहले से चल रही परियोजनाओं को पहले पूरा करने और उसके बाद नई परियोजनाओं को शुरू करने पर जोर दिया है। इन तमाम घटनाओं के बाद रेलमंत्री को चाहिए कि वे आम भारतीय नागरिक को सुरक्षित और समयबद्ध रेलयात्रा का भरोसा दें। इसके लिए दुर्घटनाओं के बाद सिर्फ जांच बैठाने या कुछ कर्मचारियों के निलंबंन से काम चलने वाला नहीं है। दोषियों की जिम्मेदारी तय करते हुए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी। साथ ही रेलकर्मियों की कार्य की दशाओं मंें भी सुधार की बड़ी जरूरत है। बुलेट ट्रेन और दूसरी तेज रफ्तार गाडि़यों से भारतीय रेलवे को नई पहचान मिलेगी लेकिन उससे पहले मौजूदा रेलवे ट्रैक के सुदृढ़ीकरण की है। रेलवे में तमाम पदों पर नियुक्तियां होनी हैं जिसकी वजह से कर्मचारियों पर काम का अतिरिक्त बोझ है और उनकी कार्य क्षमता प्रभावित हो रही है। क्षमता से अधिक काम कई बार दुर्घटनाओं का कारण बनता है। इसलिए रेलमंत्री को चाहिए कि रेलवे के रिक्त पड़े पदों पर शीघ्र नियुक्तियां की जाएं जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे और रेलवे का ध्येय वाक्य सुरक्षा, संरक्षा और समय पालन भी सार्थक हो सकेगा।

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