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15 अक्टूबर यानी वर्ल्ड हैंड वाशिंग डे। एक वैश्विक जागरुकता दिवस, जो हमें अपने हाथों की साफ-सफाई और उसकी देखभाल करने के लिए प्रेरित करता है। वर्ष 2008 से शुरू हुए हुए इस कार्यक्रम को संयुक्त राष्ट्र के जेनरल एसेंबली ने ‘विश्व हस्त धुलाई दिवस’ के रुप में मनाने का फैसला किया था। यूं तो हाथ हमारे शरीर के प्रमुख अंगों में से एक है, पर हम अपने हाथों का उतना ख्याल नहीं रख पाते जितना सही मायनों में जरूरी है। हाथ की साफ-सफाई सिर्फ हाथों की सेहत के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन को बचाने का भी एक कारगर तरिका है। अगर हाथ गंदे होंगे तो इसके दुष्परिणाम हमें अन्य गंभीर शारीरिक बीमारियों के रूप में मिलेगा। कहा जाता है कि यदि हर व्यक्ति सिर्फ अपने हाथों की सफाई का ध्यान रखें तो अस्वच्छता से होने वाले आधे से अधिक बीमारीयों को टाला जा सकता है। परंतु आज के इस भागदौड़ भरी जीवनशैली में विरले ही कुछ लोग इस बात का ध्यान रख पाते हैं। एक सर्वे के अनुसार केवल 5% लोग ही इस पैमाने पर खरे उतरते हैं. डॉक्टरो की माने तो सिर्फ हाथ धोना काफी नहीं है सही तरीके से हाथ धोना और उसे साफ रखना भी जरूरी है। आमतौर पर लोग हाथ धोने के नाम पर केवल उंगलियों के पौर भिगो लेते हैं, लेकिन यह सही नहीं है। हाथ तभी साफ होंगे जब उन्हें साबुन, मिट्टी या राख से अच्छे प्रकार से मल कर साफ पानी से धोया जाएगा।
विभिन्न प्रकार के संक्रमण जनित बीमारियों में हमारे गंदे हाथों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इन बीमारीयों में प्रमुख डायरिया, निमोनिया, टायफाइड, हेपेटाइटिस ए, कंजंक्टिवाइटिस, स्वाइन फ्लू, उल्टी-दस्त, सर्दी-जुकाम जैसे रोग अग्रिम हैं। इन रागों में चर्म रोग भी आते हैं। जब कोई व्यक्ति रोगी की त्वचा छूने के बाद बिना हाथ धोये खुद की त्वचा छूता है, तो उसे भी वही रोग हो जाता है। ये रोग बैक्टीरियल, फंगल और वायरल इंफेक्शन के कारण होते हैं। आंकड़े बताते हैं की ऐसे 80 प्रतिशत संक्रमण वाले रोग स्पर्श से ही फैलते हैं। इनमें घाव, फुंसी, दिनाय, चिकेन पाँक्स, खुजली जैसे रोग प्रमुख माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त हम दिन भर में कई प्रकार की चीजें छूते हैं मसलन नोट,मोबाइल, की-बोर्ड, कांपी-पेन इत्यादि। कई बार तो हम इन चीजों पर काम करते हुए भी कुछ न कुछ खाते रहते हैं। ये वो वक्त होता है जब अंजाने में ही हम अपने स्वास्थ के प्रति सबसे ज्यादा लापरवाह हो जाते हैं। ऐसी जगहों को स्पर्श करके जब हम उन्हीं हाथों से भोजन कर लेते हैं तो किटाणु भी उन्हीं के साथ हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और अनेक रोगों को जन्म देते हैं। इसके इतर आजकल नाखून बढ़ाने का बहुत क्रेज है। नाखून बढ़ाना तो सही नहीं है पर अगर उसे बढ़ाना ही है तो उसकी साफ-सफाई का भी बेहतर तरिके से ध्यान रखा जाना चाहिये। बच्चों को तो बिल्कुल भी नाखून बढ़ाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है इसलिए वो वायरस व बैक्टीरिया के संपर्क में जल्दी आते हैं। उनके हाथों की साफ-सफाई पर अधिक ध्यान दी जाना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दस्त लगने से हर साल 2 मिलियन बच्चे मर जाते हैं, जिनमें से हर 5वां बच्चा भारतीय होता है। हाथों की अच्छी तरह साफ-सफाई करने से इस आंकड़े को कम किया जा सकता है। लंदन स्कूल ऑफ हाइजिन एंड ट्रांपिकल मेडिसिन के अनुसार हाथ धो कर 47 प्रतिशत डायरिया कम किया जा सकता है।
इसी प्रकार और भी छोटी छोटी आदते अपने जीवन में जोड़ कर हम अपनी सेहत का ख्याल रख सकते है। बस जरुरत है की हम जागरुक हों। कुछ कदम हम उठाये और कुछ कोशिशे सरकार करे। कुछ छोटे-बड़े मुहिम चला कर लोगों को इससे अवगत कराया जा सकता है। सरकार को विश्व हस्त धूलाई दिवस या इसी प्रकार के अन्य स्वच्छता से संबंधित दिवसों का प्रचार करना चाहिये। अगर हम इसके प्रति जागरूक हो सके तो निश्चित ही इससे हमारे स्वास्थय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हर साल इन छोटी गलतीयों के कारण हम कई बीमारीयों की चपेट में आ जाते हैं और फिर अस्पतालों का चक्कर लगाना पड़ता है। जिसमे पैसा और वक्त दोनो ही बरदाद होता है। अगर हम पहले से ही सतर्क हों, तो इन रोगों और संक्रमण से बचाव संभव हो सकता हैं। हमें हाथ धोने की आदत को अपने जीवन के अनिवार्य हिस्सों में शामिल कर लेना चाहिये। इस वर्ष के हस्त धुलाई दिवस का थीम भी यही है ‘मेक हैंड वाशिंग ए हैबिट’ यानी हाथ धोने को एक आदत बनाओ।
•विमर्या
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