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बढ़ा जुर्माना और सख्त कानून क्यों जरूरी

Jagran
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एक चमत्कारी लौंडा अपने घर से बाइक उठाकर निकला,
माँ को बोला फुटबॉल खेलने जा रहा हूँ।
कभी भागती बाइक का स्पीट मीटर देख रहा है,
कभी 90-100की रफ्तार से दौड़ती बाइक के शीशे में अपनी उड़ती जुल्फे देख रहा है।।
खैर 15 मिंट में ही बाइक ठेके पर जाकर रुक गई।
वहाँ पहले से मौजूद 2-3 याडी, लफाड़ियो से गले मिला और फिर पत्ती इकट्ठा होने लगी।
किसी ने 200 रुपे दिए किसी ने 300।

ठेके के बराबर में बनी कैंटीन/हत्थे पर महफ़िल सजी ।
दावत का दौर शुरू हुआ।
पीते पीते 4 आदमी 2 बोतल गटक गये,
बिल देते समय कैंटीन वाले से छोटा सा झगड़ा भी हुआ।

फिर बाहर निकले तो एक दोस्त ने एक स्पेशल माल(भांग-गांझे) वाली सिगरेट तैयार कर ली।

अब सुट्टा मारते मारते खोपड़ी भारी होने लगी,
इधर मोबाइल पर माँ के लगातार फोन आ रहे थे।
तो अब घर जाने की चिंता हुई,
दोस्तो तो टाटा-बाय बाय कहकर फिर से अपनी प्यारी बाइक स्टार्ट की और उसी गति से दौडा दी।
लेकिन इस बार अंतर ये था कि बाइक बिलकुल नागिन की तरह लहरे ले रही थी।

अपनी धुन में मस्त लौंडा जोर जोर से गाते हुए जा रहा था।

लेकिन ये क्या ?

अचानक बैलेंस बिगड़ गया और 90 कि स्पीड पर भागती बाइक दूसरी साइड से आ रही बाइक से जाकर भिड़ गई।

जोर की आवाज हुई, कहीं बम फटा हो जैसे।

दूसरी बाइक पर बैठी महिला सिर फट जाने के कारण तत्काल मौके पर मर गई।

उस महिला का पति हेलमेट होने के कारण बच तो गया लेकिन उसका एक पैर तो जैसे बस एक दो नसों पर ही रुका था, अलग होने को ही था।

उनके साथ जो एक या सवा साल का बच्चा रहा होगा वो दूर घास के ढेर पर पड़ा था लेकिन ठीक था,

और ये चमत्कारी लौंडा ?

लोग ढूंढ रहे थे कि उसका सिर कहाँ गया ?

पास में पड़े उसके मोबाइल पर अब भी माँ का फोन लगातार आ रहा था।

वो सोचती होगी कि मेरा बेटा रोनाल्डो को पछाड़कर अभी आ जायेगा।
लेकिन वो क्या जाने की नियमो को फुटबॉल की तरह उड़ाने वाले उसके लौंडे की गर्दन को नियति ने फुटबॉल की तरह उछाल दिया था।

वो तो गया ही गया लेकिन साथ ही,

एक नन्हे से मासूम से उसकी माँ को छीनकर ले गया।

उसकी किस्मत को छोड़ गया ताउम्र के लिए अपाहिज हो चुके बाप के हवाले।।

खैर, आपको बढ़े हुए जुर्माने से तकलीफ है तो हम पर कौनसा कोई दवाई है आपका दर्द मिटाने की।

आपका दर्द नियति मिटायेगी।।

जिसे पुलिस की रिश्वत की चिंता है वो या तो नियम न तोड़े या फिर जुर्माना दे।

कब तक ये देश आपकी मनमानी झेलेगा ?

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