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यह जाने पहचाने से अजनबी…..

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यह जाने पहचाने से अजनबी –

नाटक के किसी चरित्र से

नाटकीय

इनकी नपी तुली बातें /मशीनी अभिवादन

आधुनिकता का स्वांग

भरती रवायतें

थोपी हुई मुस्कान

और

बनावटी शिकवे -शिकायतें

क्लबों की

बेपरवाह सी भीड़ में

भटकती हुई

आत्मकेंद्रित सी

यह आत्माएं!

जाम के दौर

शोर ही शोर

ठहाकों /चहल पहल/ जोशीले संगीत

के बीच

चन्द बौद्धिक चर्चाएँ

उन तराशे हुए

शब्दों के पाखंड में-

रची बसी हुई आलोचनाएं

गिरगिटी चोले में इनके

दफन होती सादगी…….

यह जाने पहचाने से अजनबी !

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