तुम अपने हाथो में
दो मुट्ठी बालू लेकर
जिंदगी की डगर पे दौड़ती थी
और तेरे पीछे पीछे मै
अंजलि भर पानी लेकर
हमने समय के सीने पर
इक दरिया बना डाला था
….विनय सक्सेना
कानपुर
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Comment
Name *
Email *
Website
Read Comments