रिमझिम फुहार
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गुलशन
दरख्त तमाम मुन्तजिर है इस राहें गुलशन में
इक संग-राह भी नज़र है मगर इसी गुलशन में
खवाब रौशन रंगी खूब-गुल यहीं इस गुलशन में
हकीकत कांटो सी जवां मगर इसी गुलशन में
अंदाज-इ-बयां ऐसा कि इबादत हों जैसे
तंज ऐसे कि हरे ज़ख्म हों इसी गुलशन में
कुई था कभी सर-इ-शाम यहीं बैठा मेरे पहलूँ में
आज इक फूल सा महका मगर इसी गुलशन में
विनय सक्सेना
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