रिमझिम फुहार
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डर
अतीत के अंधियारो
का कारवां
मिल रहा है अब भविष्य से
इक दरार पतली सी
दरमियाँ
झांकती जिससे
इक लकीर रौशनी सी
है समय रुका हुआ
यहीं अभी क्षण भर को
सदियाँ बिताने
चलने को आतुर सब
मगर घबराहट क्यू
क्यू छूटती सी जिंदगी लगे
सफर की शुरुआत से
विनय
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