Menu
blogid : 17137 postid : 792941

तू पंख पसार

रिमझिम फुहार
रिमझिम फुहार
  • 27 Posts
  • 59 Comments

तू पंख पसार

तू पंख पसार
गगन निहार
कर मन विचार
तू हो तैयार
डर को तू तज ज़रा
तेरा ज्ञान है किधर धरा
तू सोच ले बस इक नज़र
फिर देख तू इक नयी डगर
तेरे कर कपार में भुजा हज़ार
तुझमे बसा है बल अपार
तू मन विहार
बस इक बार
तू हो तैयार
कर मन विचार
तू पंख पसार
तू गगन निहार
ये बात तुझमे नयी नहीं
ये ढूंडा तूने कभी नहीं
जीवन तूने जिया नहीं
तू मर मर के भी मरा नहीं
तू उठ और उठ के जरा सा चल
प्यास अपनी कर थोड़ी विकल
तू गिर जरा फिर उठ संभल
फिर मिलेंगे सब सारे हल
तू उठ और उठ के जरा सा चल
तू कर विचार विस्वास जरा
तू खुद को बस इक बार हरा
हार भी हारेगी तब
जब उठ के तू होगा खड़ा
बस
तू कर विचार विस्वास जरा
फिर सारे जग को तू हरा
ये मंजिल जैसी चीज़ नहीं
जिसको है तू देख रहा
चला स्वप्न का दौर जहाँ
और अंधियारे में तू पड़ा रहा

तू कर विचार
बस हो तैयार
खुद को जरा सा
बस सँवार
तू गगन निहार
बस पंख पसार
ये लौहपाश तूने खुद कसे
ये घाव तूने खुद चुने
ये स्वर्ण स्वप्न बिखर गए
ये हश्र उनके तूने चुने
तू हारा नहीं
ये अब जान ले
तू खुद है क्या
बस अब मान ले
तू निकल
बस हो विकल
बस जरा सा
खुद संभल
फिर देख तू
इक धरा नयी
इक सूर्य नया
और किरण नयी
इक नयी फिजा
दुनिया नयी इक कोई तैयार
बस खुद को तू जरा सांवर
तू हो तैयार
कर मन विचार
तू पंख पसार
गगन निहार
तू गगन निहार
तू गगन निहार….
तू गगन निहार……………
तू हो तैयार………………………..
तू हो तैयार…………………………………….
बस इक बार……………………………………………………..
तू हो तैयार …………………………………………………………………

विनय सक्सेना

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh