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एक पुराना नाम है निकला…..

रिमझिम फुहार
रिमझिम फुहार
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एक पुराना नाम है निकला

घर से कुछ सामान है निकला

अहद पुराना इक बात पुरानी

दो आँखों कि एक कहानी

कागज में लिपटे आंसू सा

दिल का एक अरमान है निकला

एक पुराना नाम है निकला

 

कुछ धङकन कुछ साँसे है

जीने मरने कि बाते है

खत पुराने पल  अनजाने

प्यार में पागल दो दीवाने

दीवानों के दर्द में डूबा

गज़ल का एक दीवान है निकला

घर से कुछ सामान है निकला

 

वो मुझमे पूरा डूब गयी थी

इश्क में वो क्या खूब गयी थी

साहिल हमको देख रहा था

लेकिन मै भी डूब रहा था

दरिया में भी डूब के वो

लम्हा इक अहसान सा निकला

एक पुराना नाम है निकला

 

आज खड़े हम निपट अकेले 

खुद को आज समेटे से

मन की ज्वाला धधक रही है  

और जीते है हम प्यासे से

कुछ छीटों की ख्वाहिस में 

ज़हर का इक जाम है निकला

घर से कुछ सामान है निकला

 

…विनय सक्सेना

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