और कितनी बाते…..
अब की जब लब खामोश है मेरे
और सफर बाकी क़यामत तक का
सियाह रात और कपकपाते हाथो को
दूर तक किसी का सहारा भी नहीं
अब कि जब दिल
हर बार धड़क कर
बेहिस सा हर ओर देखता है
और मायूसी ओढ़ आगे चल पड़ता है
हर मोड इक उम्मीद के चिराग से रोशन
हर राह मचल के पुकारती सी है
फिर ये सफर कदम भर का
न जाने क्यू
जिंदगी भर पूरा नहीं होता
विनय सक्सेना