रिमझिम फुहार
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रातो को अब भी नींद अक्सर आती नहीं
पलकों पे दस्तक देता है कुई अब भी रात गए
जिंदगी भी इन सन्नाटो से बोझिल है इतनी
सुनती है कुछ सदाएं अक्सर अब भी रात गए
इश्क ओ इबादत सुना है कमज़ोर नहीं होते
ये इंन्सा है जो लडखडाता है अब भी रात गए
बस एक दिन सो जाऊंगा मै इत्मीनान से
बालो को प्यार से सहलाता है कुई अब भी रात गए
…..विनय सक्सेना
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