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मै हार गया…..
मै हार गया
दुनिया के इन तानो से
जीवन के इन बानो से
छल से जीती साँसों से
उर क्रिन्दन आवाजो से
“तड़प” तड़प के शोर बने
झूठ जहां घनघोर बने
जहां झूठी लीक हों जीवन रेखा
और सच कोई हों खेल अनोखा
मै हार गया
जहां जीती बातें बेमानी सी
अबूझ पहेली अनजानी सी
जहां दिल सारे सब बीमार हुए
सब के सब लाचार हुए
जहां खेतों में होली जलती थी
कल रज़िया वहां शहीद हुई
कलुआ के सीने पर गोली
जो गोली प्रेम मुरीद हुई
मै हार गया
जहां बाप के आंसू
माँ की ममता
दुनिया की बलिहारी हुई
जहां देश धरम की कच्ची रस्मे
झूठ की दुनियादारी हुई
यहाँ झूठ बिके बाजारों में
और हाथ दबे मीनारों में
सर रखे पैरों में उनके
और खड़े हुए कतारों में
मै हार गया
मै सारा सबकुछ हार गया
तुम मुंह पर ओढे झूठ की चादर
और जीवन सूरज डूब चला
कच्चा मै भी प्रेम प्याला
समय से मै भी टूट चला
धरम ये छूटा भरम ये टूटा
कोई सबकुछ मार गया
प्रेम हुआ सबको लेकिन
मै ही लेकिन हार गया
मै ही लेकिन हार गया
मै ही लेकिन हार गया
…… विनय सक्सेना
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