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देश की हालत तो इस समय बहुत ही खराब है !
हर कही लूट मची हुई है !
कोई भी कुछ कह नहीं सकता,
अगर कहता है तो फिर इस दुनिया में रह नहीं सकता !
अजीब सा वातावरण बन गया है,
जो अपने को सत्ता वाली पार्टी से जुड़ा बताता है,
वही तन गया है !
और जब भी आता है सीना ताने आता है !
अजीब सी कशिश है,
सभी के मन अन्दर से भयभीत है,
आज तो ठीक है, कल कैसा हो ?
समझाना चाहता है हर कोई,
गारंटी चाहता है जीवन की,
मरने से डरता है,
मारने से भी डरता है,
अजीब सा बर्ताव हो गया है मानव का,
मानव, मानव से ही डरता है !
वो कुछ भी कहे,
वो कुछ भी करे,
कोई एतराज नहीं जाताना है दोस्तों,
ऐसा ही सन्देश बाटता है चेहरा इन सब का !
न उदास है, न प्यास है,
भूखे भी है लेकिन खाने का उपहास है,
अजीब सा है इनका लक्षण,
अजीब सा हाल है !
होठ हिलते है, आवाज गुम है,
शरीर तो हिलते है, सांसे खत्म है,
कुछ भी कहो, कभी कहो,
जवाब भी इनका एक ही,
बस और सब ठीक है !
अलहदा सा सबकुछ है,
लाख जतन करो, अनुसंधान करो,
नतीजा शिफर है,
अब तो अपना भी मन अजीब सा हो गया है,
दहशत समां गयी है अन्दर ही अन्दर,
ऐसा लगता है आखिरी घडी आ गयी है,
क्योंकि, मानव ही मानव को हरता है !
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