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अभी हल में ही मनमोहन सिंह जी ने कहा था की शासन में पारदर्शिता लायी जाएगी. सोनिया के साथ राहुल ने भी भ्रष्टाचार को ख़त्म करने की पहल को जोर दिया था. ऐसा समझ में आ रहा था जैसे इस देश में कुछ तो अच्छा होने जा रहा है. लेकिन इन सब को दरकिनार कर अभी हल में जो कपिल नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) को ही बेकार और क्षमताहीन बता कर देश की एक शीर्षस्थ संस्था के औचित्य पर ही सवाल उठा कर अपने पूर्व के मंत्री ए-राजा को साफ- सुथरा कहा है.
उन्होंने कहा कैग रिपोर्ट की वजह से सरकार और राष्ट्र दोनों को शर्मिदगी उठानी पड़ रही है यानि राजा जो कर गया वह सही था और उस रिपोर्ट को छिपा जाना ही उचित था. उसकने गलती नहीं की थी. कैग ने अपनी रिपोर्ट गलत बनायीं थी. कपिल सिब्बल या रजा को चाहिए था पूर्व के जो भी कमिया बता रहे है वह सत्ता में बताते ही पाक- साफ कर देना चाहिए था. यानि अब जो भी आबंटन कपिल जी करेंगे तो वह भी राजा के आधार पर ही करेंगे. राजग सरकार की कमिया गिना और कैग को गलत ठहरा कर क्या सिब्बल जी राजा को बचने की कोशिश करने की कपिल सिब्बल को ऐसी क्या आवश्यकता है जब यह पूरा देश जनता है आज तक सभी भ्रष्टाचारी खुले आम घूम रहे है.
ए.राजा को वैसे भी कुछ नहीं होगा, यह तो तय ही है. तो फिर देश के एक मंत्री का कैग पर आरोप लगाना कितना उचित है यह तो मनमोहन की पारदर्शिता और कांग्रेस की नीति, राहुल और सोनिया द्वारा भ्रष्टाचार ख़त्म करने की बात सभो को सीधे सीधे चोट पंहुचा रही है. कान्ग्रेस के यह कहने से की पूरी कांग्रेस कपिल सिब्बल के साथ नहीं है जिम्मेदारी से नहीं हट सकती है.
जबकि इस मामले की जांच पीएसी कर रही है ऐसे समय में इस तरह की भ्रामक बातें तो इस देश के एक जिम्मेदार को नहीं कहना चाहिए था. कैग कोई भी रिपोर्ट को अनुमानित कर ही आकलन करता है न की एक स्थिर धनरासी की.
इस मामले को जोशी जी ने भी गैर जिम्मेदाराना बताते हुए कड़ी आलोचना की है. आगे तो यह पूरा देश ही जानता है होना तो कुछ भी नहीं है, और चाहता है यह नाटकबाजी और बयानबाजी न होकर सब बंद हो.
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