Khula Khel Farrukkhabadi
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मेरे विचार से तात्कालिक रूप से आन्दोलन को विफल ही नहीं माना जाना चाहिए ,अतः उसकी प्रासंगिकता ख़त्म होने का प्रश्न ही नहीं उत्पन्न होता ।सरकार और अन्य राजनीतिक पार्टियों की होशियारी से भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन थोड़ा धीमा होता प्रतीत हो रहा है, लेकिन ऐसा होगा नहीं ।समाज और विशेषकर युवा वर्ग,काफ़ी जागरूक हो चुका है,अतः यह प्रयास बेकार नहीं जाएगा ।
विश्लेषक
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