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हम सभी जानते है कि भारतीय लोकतन्त्र संसदीय प्रणाली पर आधारित है और संसदीय प्रणाली में सामूहिक उत्तरदायित्व का सिद्धान्त लागू होता है ।अब इन मूलभूत सिद्धान्तों की जाॅच वर्तमान परिप्रेक्ष्य में चर्चा कर ली जाय ।आज द्रमुक सरकार में होने के बावजूद और सपा तथा बसपा द्वारा बाहर से सरकार को समर्थन देने के बावजूद ऐ सभी सरकार के निर्णयो का विरोध सड़क पर कर रही है ।यह कैसा सामूहिक उत्तरदायित्व है? मैं राजनीतिशास्त्र का विद्यार्थी रहा हूॅ और मुझे पढ़ाया गया था कि यदि एक भी मन्त्री के विरूद्ध अविश्वास की स्थिति उत्पन्न हो तो भी वह अविश्वास पूरी सरकार के विरूद्ध मानी जाती है और सरकार को जाना पड़ता है।ऐसा लगता है कि यह देश विश्व को एक नई राजनीतिक व्यवस्था,नहीं नहीं ,अव्यवस्था दे रहा है ।हम भारतवासियों को अपने प्रवुद्ध होने,अध्यात्म के क्षेत्र में बहुत पहुॅचा हुआ होने,बहुत संस्कारवान होने इत्यादि की ग़लतफ़हमी है,यही कारण है कि हम छोटे छोटे देशों से भी सभी क्षेत्रों में पीछे होते जा रहें है और राजनेता लोग मोबाईल,टेबलेट,लैपटॉप,बेरोजगारी का लालच देकर सबको उलझाए हुए है ।ईश्वर हम सभी को सद्बुद्धि दें ।विश््लेषक@याहू.इन ।
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