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हमारा देश विश्व का सर्वाधिक युवा देश है,लेकिन क्या यह तथ्य केवल संख्या की दृष्टि से ही सही नही है? शायद हाॅं,लेकिन यह पर्याप्त सन्तोष का आधार नही है ।।मेरे विचार से यह तभी और केवल तभी सन्तोष का कारण हो सकता है,जब यह युवाशक्ति कर्मठता और सकारात्मक दृष्टि से बिचारवान भी हो । अभी तक हमारी युवाशक्ति कृषिकार्य,सामाजिक सुधार के कार्यों तथा जन जागरण के कार्यों इत्यादि में नहीं लग रही है । मेरा मानना है कि यदि युवाशक्ति इन दिशाओं की तरफ़ ईमानदारी से लग जाएगी तो इस देश का कायाकल्प हो जाएगा क्योंकि जहाॅं एक तरफ़ इससे रोजगारी की समस्या समाप्त हो जाएगी,वही दूसरी तरफ़ झूठी शानोशौकत और दिखावा समाप्त हो जाएगा ।अभी तक युवावर्ग केवल सरकारी नौकरी,जो अर्कमण्यता और पैसा बनाने का सबसे आसान माध्यम है, की तरफ़ पागल हुई सी दीखती है ।निश्चित रूप से यह दुर्भाग्यपूर्ण है ।सभी माॅं बाप और वरिष्ठ लोगों को इस दिशा में गम्भीरतापूर्वक प्रयास करना चाहिए ।
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