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हाय रे ईश्वर मेरे सांसदों को क्या हो गया है ।ऐ अपने को इतना समझदार क्यों और कैसे समझते हैं? शायद जनता के भोले,भुलक्कड़ ,जातीय एवं साम्प्रदायिक होने के कारण ।बिहार में सांंस््कृतिक परिवर्तन हो गया,लेकिन पता नहीं उ० प्र० में होगा या नहीं ,शायद नहीं ।न केवल सभी राजनीतिक पार्टियां इस प्रदेश में जातीय आधार पर टिकट बाँटती है बल्कि जनता भी इसी आधार पर वोट देती है ।यदि यह होना बन्द हो जाय तो राजनेता चैलेन्ज देना बन्द करके सुधरना प्रारम्भ कर देंगें ।
पिछले चार पाँच दिनों में सांसदों ने जो व्यवहार संसद में किया है, उससे सिद्ध हो गया है कि यदि संसद का कोई अपमान कर रहा है तो ऐ स्वयं सांसद महोदयगण ही हैं ।आदरणीय लालू जी संसद में जिस प्रकार सभी को हँसा सकते है,शायद उतना कोई नहीं कर सकता ।क्या आदरणीय अम्बेडकर जी एवं अन्य संविधान निर्माताओं ने ऐसे किसी सांसद की कल्पना की होगी । पुनः आदरणीय लालू जी तो वह सभी कह और कर रहे हैं, जो स्वयं काँग्रेसीगण भी अपने पक्ष में कहने और करने में समर्थ नहीं है ।ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अब श्री लालू जी को बिहार पर भरोसा नहीं रह गया है ।कदाचित उनका कल्याण अब काँग्रेस ही करेगी ।
कुछ चर्चा सनातनी पार्टी काँग्रेस की भी करनी ज़रूरी है ।कौन भला इस पार्टी को वह काँग्रेस पार्टी कहेगा, जिसने देश को कभी स्वतन्त्रता दिलवायी थी ।ऐसा प्रतीत हो रहा है कि काँग्रेस स्वयं अपनी दुकान समेटने में लगी है । निश्चित ही इस देश में ईश्वर नाम की कोई चीज़ है,जिसने काँग्ेेसियों की मति फेर दी है अन्यथा ऐसी निकृष्ट स्तर की अदूरदर्शिता और मूर्खता काँग्रेसी न करते ।ऐसा लगता है कि अब राजग को स्वयं कुछ करने की ज़रूरत नहीं है,स्वयं काँग्रेसी ही उन्हे सत्ताशीन करके ही माँनेगेंं । भगवान से प्रार्थना है कि देश को बचाने के लिए सभी को सद्बुद्धि दें ।
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