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वर्तमान चुनावी माहौल में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि अपना मत किसे दें । मेरे विचार से मत देने के पहले हमें यह विचार अवश्य कर लेना चाहिए कि उपलब्ध उम्मीवारों में से किसकी क्या बैकग्राउन्ड है उनका चरित्र कैसा है शिक्षा व समझदारी कैसी है,यदि पहले भी प्रतिनिधि रह चुकें हैं तो समाज के िलए उनकी कार्यप्रणाली कैसी रही है, समाज के चतुर्मुखी विकास में उनका योगदान कितना व कैसा रहा है अौर फिर उन सबमें सर्वश्रेष्ठ कौन है अौर कितनी जिम्मेदारी से कौन अपने दायित्वों को निभा सकता है । जब सब प्रकार से श्रेष्ठ उम्मीदवार होने पर संतुष्ट हों जायें तभी अौर केवल तभी अपने अमूल्य मत को डालें किन्तु अपने मत का प्रयोग अवश्य करें ।अगर सम्भव हाे तो अपने अासपास के लोगों को भी चर्चा करके फलाँ उम्मीदवार के सर्वश्रेष्ठ होने के बारे में संतुष्ट कर दें अौर सर्वश्रेष्ठ के पक्ष में ही मत डलवाने का प्रयास करें ।शायद एैसा करने से ही न केवल लोकतन्त्र स्वस्थ व मज़बूत हो सकेग बल्कि हम एक जिम्मेदार नागरिक हैं एवं सशक्त समाज व लोकप्रिय शासन के लिए कुछ कर सकते हैं ,इसकी भी पुष्टि होगी ।इन सब पूँछे जाने वाले प्रश्नों से तथाकथित नेता अंजान नहीं हैं शायद तभी वे दिनप्रतिदिन नए लुभावने वादों के साथ नए नए प्रकार के लालच देकर मतदाताओं को प्रभावित करने का भी प्रयास कर रहें हैं किन्तु ध्यान रहे कि हमारा लक्ष्य स्वस्थ समाज विकसित समाज एवं जिम्मेदार शासन की संरचना है न कि मिलने वाले तात्कालिक लाभ, इसीलिए हमें सर्वश्रेष्ठ का ही चयन करना है अौर तभी जिम्मेदार नागरिक होने का दायित्व भी पूरा कर सकेंगे ।एक बार पुनः ध्यान रहे कि लोकतन्त्र रूपी यज्ञ में चुनाव एक हवन है अौर हमें इसमें अपने मत रूपी अाहुति देनी है अाहुति को बेकार न जाने दें तभी हवन व यज्ञ का पुनीत उद्देश्य पूरा हो सकेगा ।चुनाव न ताे यज्ञ है अाैर न मतदान प्रक्रिया अाहूति देने का साधन ।यह एक कर्तव्य है जिसे काेई करना नहीं चाहता । वह नागरिक जाे अपने मताधिकार का प्रयाेग नहीं करता उसे भविष्य में मतदान के अधिकार से वंचित कर दिया जाना चाहिए ।
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