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सावधान, सुनामी आ चुकी!!

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सावधान कल देश में ‘सुनामी’ का आगाज़ हो चुका है। वैसे तो मौसम विभाग ने कोई चेतावनी जारी नहीं की है परन्तु कभी कभी हमेशा झूठ बोलनेवालों की भविष्यवाणी भी सही हो जाती है। यह वैसी सुनामी नहीं है जो कि समुद्रतट पर स्थित प्रदेशों से शुरू होकर वहीं आस पास थम जाएगी। यह तो पूर्व में बिहार से शुरू हुई। चेतावनी के तौरपर पाकिस्तान पलायन करने की सलाह दी गई। देश का कोई भी हिस्सा अछूता नहीं रहेगा।

आज मुझे रह रह कर भरत व्यास जी का लिखा हुआ, वसन्त देसाई जी के सगीत में स्व0 मन्ना डे जी का वह गाना याद आ रहा है निर्बल से लड़ाई बलवान की, ये कहानी है दीये की और तूफ़ान की। इसी गाने से जुड़ी मेरे उस समय के कालेज के मित्रों की once more…once more..की फ़रमाइश भी दिल को छू जाती है। देश के भ्रष्टाचारियों, अपराधियों और लुटेरों की सुनामी ने षड्यंत्र कर देश व्यापी भ्रष्टाचार उन्मूलन आन्दोलन को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया और बिकाऊ आन्दोलनकारियों को नोट और कुर्सी की लालच में खरीद लिया। ऐसी भयकर सुनामी में कहीं आशा की लौ लिये यही एक छोटा सा दिया टिमटिमा रहा है, जो कि इस सुनामी के घोर अंधकार में दिशा दिखा रहा है। हो सके तो इसे बचाएं। इसे न बुझने दें। यही है एक आशा की किरण। फ़िर न कोई दिया जलेगा और न कोई दिया जलाने वाला रहेगा। आजकल हर दिया जलानेवाला अपना मूल्य मांगता है। एक बार गायक, गीतकार और सगीतकार को साभार श्रद्धाँजलि देते हुए याद कीजिये उस गाने को:

निर्बल से लड़ाई बलवान की
ये कहानी है दीये की और तूफ़ान की
ये कहानी है दिये की और तूफ़ान की
इक रात अंधियारी, थीं दिशाएं कारी-कारी
मंद-मंद पवन था चल रहा
अंधियारे को मिटाने, जग में ज्योत जगाने
एक छोटा-सा दिया था कहीं जल रहा
अपनी धुन में मगन, उसके तन में अगन
उसकी लौ में लगन भगवान की
ये कहानी है दिये की और तूफ़ान की

कहीं दूर था तूफ़ान
कहीं दूर था तूफ़ान, दिये से था बलवान
सारे जग को मसलने मचल रहा
झाड़ हों या पहाड़, दे वो पल में उखाड़
सोच-सोच के ज़मीं पे था उछल रहा
एक नन्हा-सा दिया, उसने हमला किया…
एक नन्हा-सा दिया, उसने हमला किया
अब देखो लीला विधि के विधान की
ये कहानी है दिये की और तूफ़ान की

दुनिया ने साथ छोड़ा, ममता ने मुख मोड़ा
अब दिये पे यह दुख पड़ने लगा
अब दिये पे यह दुख पड़ने लगा
पर हिम्मत न हार, मन में मरना विचार
अत्याचार की हवा से लड़ने लगा
सर उठाना या झुकाना, या भलाई में मर जाना
घड़ी आई उसके भी इम्तिहान की
ये कहानी है दिये की और तूफ़ान की

निर्बल से लड़ाई बलवान की
ये कहानी है दिये की और तूफ़ान की

फिर ऐसी घड़ी आई
फिर ऐसी घड़ी आई, घनघोर घटा छाई
अब दिये का भी दिल लगा काँपने
बड़े ज़ोर से तूफ़ान, आया भरता उड़ान
उस छोटे से दिये का बल मापने
तब दिया दुखियारा, वो बिचारा बेसहारा
चला दाव पे लगाने, बाज़ी प्राण की
बाज़ी प्राण की, बाज़ी प्राण की, बाज़ी प्राण की
चला दाव पे लगाने, बाज़ी प्राण की
ये कहानी है दिये की और तूफ़ान की

लड़ते-लड़ते वो थका, फिर भी बुझ न सका
उसकी ज्योत में था बल रे सच्चाई का
चाहे था वो कमज़ोर, पर टूटी नहीं डोर
उसने बीड़ा था उठाया रे भलाई का
हुआ नहीं वो निराश, चली जब तक साँस
उसे आस थी प्रभु के वरदान की
ये कहानी है दिये की और तूफ़ान की

सर पटक-पटक, पग झटक-झटक
न हटा पाया दिये को अपनी आन से
बार-बार वार कर, अंत में हार कर
तूफ़ान भागा रे मैदान से
अत्याचार से उभर, जली ज्योत अमर
रही अमर निशानी बलिदान की
यह कहानी है दिये की और तूफ़ान की
निर्बल से लड़ाई बलवान की
ये कहानी है दिये की और तूफ़ान की

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