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पिछले 5 दशकों से अधिक प्रबन्ध के क्षेत्र में परामर्शदाता, प्रशिक्षक व अन्वेषक का अनुभव व दक्षता-प्राप्त विष्णु श्रीवास्तव आज एक स्वतंत्र विशेषज्ञ हैं। वह एक ग़ैर-सरकारी एवं अलाभकारी संगठन “मैनेजमैन्ट मन्त्र ट्रेनिंग एण्ड कन्सल्टेन्सी” के माध्यम से अपने व्यवसाय में सेवारत हैं। इस संगठन को श्री श्री रविशंकर का आशीर्वाद प्राप्त है। विष्णु श्रीवास्तव ने “आर्ट ऑफ़ लिविंग” संस्थान से सुदर्शन क्रिया व अग्रवर्ती योग प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्हें अंग्रेज़ी साहित्य व ‘बिज़नेस मैनेजमैन्ट’ मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त हैं। वह “वरिष्ठ नागरिकों की आवाज़” नामक ग़ैर-गैरकारी संगठन में सक्रिय रूप से जुड़े हैं। इनके कई व्यावसायिक लेख “प्रॉड्क्टीविटी” और “इकोनोमिक टाइम्स” मे प्रकाशित हो चुके हैं।
बिका हुआ भारतीय मीडिया यह कहने में अपने को शर्मसार महसूस नहीं कह रहा है कि अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे। अरविन्द केजरीवाल को गडकरी के मानहानि के केस में दो साल की सजा निश्चित है। कितना सुकून और गर्व मह्सूस करते हैं ये देश के न्यूज़ चेनेल जिन्हें आज के जयचन्द और मीर ज़ाफ़र कहने में कोई सकोच नही है? कितने pervert हैं अपने चेनेल और पेशे को बेच खाने वाले ये लोग? एक बार यह नहीं समझा और समझाया कि यदि अपराध सत्य सिद्ध हो गया तो अपराधी का क्या होगा? कितनी सजा भोगनी होगी उसे? क्या होगा उसका भविष्य? वैसे तो भविष्य की चिन्ता नेक इन्सान को ज्यादा होती है न कि किसी भ्रष्टाचारी को जिसने पहले ही अपनी सात पीढ़ियों के लिये पूरी व्यवस्था कर दी हो। क्या अपने आकाओं का चाटुकार, बिका हुआ मीडिया, अपने पेशे और नैतिक दायित्व को भूले पत्रकार, रिपोर्टर, एडिटर यह नहीं बताएंगे कि:
नितिन गडकरी को अब अदालत में अपनी सारी संपत्तियों और बिजली और चीनी बनाने वाली कंपनियों का ब्यौरा देना पड़ेगा?
नागपुर में 100 एकड़ ज़मीन कैसे मिली यह भी बताना पड़ेगा?
यह भी साफ़ करना पड़ेगा कि पूर्ति ग्रुप में निवेश करने वाली कंपनियों के पते फ़र्ज़ी क्यों हैं?
उनका ड्राइवर कैसे कई कंपनियों का डायरेक्टर बन गया?
उस ड्राइवर ने एक दो साल में ऐसा क्या किया कि उसके पास करोड़ों रुपए आ गए और वह कंपनी का मालिक बनकर गडकरी की कंपनी में पैसे लगाने लगा?
सड़क बनाने वाली कंपनी आई0आर0बी कोई वित्तीय कंपनी नहीं है। गडकरी को इस पर भी स्पष्टीकरण देना पड़ेगा कि आई0आर0बी ने उन्हें 164 करोड़ रुपए क्यों दिए?
यह भी बताना पड़ेगा कि शिवसेना-बीजेपी शासन में जब गडकरी पी0डब्ल्यू0डी मत्री थे तब आई0आर0बी को ही सभी कॉन्ट्रैक्ट क्यों मिले?
इन्ही आरोपों के कारण गडकरी को दो साल पहले भाजपा के अध्यक्ष पद से स्तीफ़ा देना पड़ा था? अभी तक निरुत्तर थे गडकरी। क्या अब भाजपा शासित देश के राजनीतिक माहौल का लाभ उठाना चाहते हैं गडकरी?
यदि गडकरी के भ्रष्टाचार की जांच उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के मार्गदर्शन में होती है तो क्या केंद्र या राज्य सरकार का राजनीतिक दवाब काम करेगा?
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