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पुलिस सुधार बनाम पुलिस आयुक्त का स्तीफ़ा

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पिछले 5 दशकों से अधिक प्रबन्ध के क्षेत्र में परामर्शदाता, प्रशिक्षक व अन्वेषक का अनुभव व दक्षता-प्राप्त विष्णु श्रीवास्तव आज एक स्वतंत्र विशेषज्ञ हैं। वह एक ग़ैर-सरकारी एवं अलाभकारी संगठन “मैनेजमैन्ट मन्त्र ट्रेनिंग एण्ड कन्सल्टेन्सी” के माध्यम से अपने व्यवसाय में सेवारत हैं। इस संगठन को श्री श्री रविशंकर का आशीर्वाद प्राप्त है। विष्णु श्रीवास्तव ने “आर्ट ऑफ़ लिविंग” संस्थान से सुदर्शन क्रिया व अग्रवर्ती योग प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्हें अंग्रेज़ी साहित्य व ‘बिज़नेस मैनेजमैन्ट’ मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त हैं। वह “वरिष्ठ नागरिकों की आवाज़” नामक ग़ैर-गैरकारी संगठन में सक्रिय रूप से जुड़े हैं। इनके कई व्यावसायिक लेख “प्रॉड्क्टीविटी” और “इकोनोमिक टाइम्स” मे प्रकाशित हो चुके हैं।

पूरे देश में आज एक बार फ़िर पांच साल की बच्ची के साथ बलात्कार के कारण व्यापक असतोष और भारी गुस्सा है। मुख्य निशाना है नाकारा दिल्ली और केन्द्र की सरकारें और असवेदनशील और भ्रष्ट पुलिस। बार बार हर दिशा से मांग उठ रही है पुलिस आयुक्त नीरज कुमार के स्तीफ़े की और उन्हें तुरन्त पद से हटाने की।

मित्रो पुलिस आयुक्त नीरज कुमार के स्तीफ़े से या उन्हें तुरन्त पद से हटाने से कुछ हद तक देश मे व्याप्त गुस्सा तो शायद कम हो जाए लेकिन क्या इस पूरी समस्या का यही एक मात्र हल है? पुलिस विभाग तो ऐसा महकमा है जहां हज़ारों इनसे अधिक खराब नीरज कुमार पदासीन हैं। हमारा गुस्सा शान्त करने के लिये हो सकता है कि सरकार मौके की नज़ाकत देखते हुए इनका तबादला कर दे। पर एक बार बहुत शान्ति से विचार करने की है कि यह समस्या का कोई भी स्थाई हल नहीं है।

अब समय आ गया है पुलिस सुधार (Police Reforms) के लिये एक देश व्यापी आन्दोलन चलाने का। इस आन्दोलन के द्वारा हम मांग करे:

 आज स्वतत्र भारत मे पुलिस की भूमिका की क्या होनी चाहिये?

 पुलिस द्वारा राज्य और सरकारी तन्त्र को प्राथमिकता के बजाय आम नागरिकों को प्राथमिकता देने के लिये पुलिस अधिनियम, 1861 तुरन्त भग किया जाए।

 पुलिस, राजनेता, अफ़सरशाही, अपराधी और इनके दलालों के बीच बहुत समय से चलती आ रही सांठ-गांठ तुरन्त तोड़ी जाए।

 उत्तम कार्य सम्पादन के लिये आधुनिक Command and Control प्रणाली का ढांचा स्थापित किया जाए।

 पुलिस का सैन्यीकरण समाप्त किया जाए।

 पुलिस का विकेन्द्रीकरण किया जाए जहां जनता पुलिस के लक्ष्यों और प्राथमिकताओं के बारे मे निर्णय ले।

 पुलिस की जवाबदेही तय की जाए और उसे नागरिकों के प्रति उत्तरदायी बनाया जाए।

 वह सारे कदम उठाए जाएं जिससे कि पुलिस कर्मियों की गुणवत्ता में सुधार हो और उनके नकारात्मक रवैए में पूर्ण परिवर्तन और सुधार आए।

 देश, समाज और परिस्थिति की आवश्यकता के अनुसार समय समय पर पुलिस के नियमित व निरन्तर प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिये।

भ्रष्ट सरकार और राजनेता इतनी जल्दी यह सब करने को जनता के सशक्त आन्दोलन किये बिना तैयार नहीं होंगे, यह निश्चित मानिये। जन लोकपाल की तरह जनता की यह Police Reforms की मांग भी बहुत पुरानी है। सर्वोच्च न्यायालय तक इस बारे में अपनी टिप्पणी कर इसकी अनिवार्यता को स्वीकार चुका है। परन्तु यह सार्थक कदम इन भ्रष्टाचारियों के हित में नहीं है। एक और आन्दोलन छेड़ना पड़ेगा।

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