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शाबास अरविन्द, हमें आप और “आप” पर नाज़ है!!

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पिछले 5 दशकों से अधिक प्रबन्ध के क्षेत्र में परामर्शदाता, प्रशिक्षक व अन्वेषक का अनुभव व दक्षता-प्राप्त विष्णु श्रीवास्तव आज एक स्वतंत्र विशेषज्ञ हैं। वह एक ग़ैर-सरकारी एवं अलाभकारी संगठन “मैनेजमैन्ट मन्त्र ट्रेनिंग एण्ड कन्सल्टेन्सी” के माध्यम से अपने व्यवसाय में सेवारत हैं। इस संगठन को श्री श्री रविशंकर का आशीर्वाद प्राप्त है। विष्णु श्रीवास्तव ने “आर्ट ऑफ़ लिविंग” संस्थान से सुदर्शन क्रिया व अग्रवर्ती योग प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्हें अंग्रेज़ी साहित्य व ‘बिज़नेस मैनेजमैन्ट’ मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त हैं। वह “वरिष्ठ नागरिकों की आवाज़” नामक ग़ैर-गैरकारी संगठन में सक्रिय रूप से जुड़े हैं। इनके कई व्यावसायिक लेख “प्रॉड्क्टीविटी” और “इकोनोमिक टाइम्स” मे प्रकाशित हो चुके हैं।

अपने चुनावी वायदों को मात्र जुमला कहने और समझने वालों के लिये देश का विकास भी एक बड़ा चुनावी जुमला है, अरविन्द। वर्तमान सरकार से अपने कार्यकाल के पाँच साल बाद हम सभी यही सुनने के लिये तैयार हैं “कैसा विकास? यह तो एक चुनावी जुमला था।“ । फ़िर धोखा देने के लिये फ़िर नए जुमले तैयार करेंगे ये लोग। अपनी पूरी शक्ति, सामर्थ, धैर्य, आत्मविश्वास, जुझारूपन, लगन, कुशल नेतृत्व और नकारात्मक आलोचना से बिना विचलित हुए, आपका पहला काम तो होना चाहिये कि इन 67 साल में बारी-बारी से देश के लूटने वाले लुटेरों को विकास का पूरा-पूरा मतलब समझाएं। अपनी कर्मभूमि दिल्ली में वह करके दिखाइए कि न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश की जनता गदगद होकर 5 साल बाद नारे लगाए कि “अब की बार केजरीवाल”।

यह काम इतना आसान नहीं है। चुनौतियों से भरा है। लेकिन हर चुनौती मे एक अवसर खोजना आपकी सफ़लता का द्योतक होगा। संघर्ष खत्म नहीं हुआ। अब शुरू हुआ है। सबसे खुशी तो इस बात की है कि आज का युवा इन 67 साल के मायावियों का खेल समझ चुका है। दिल्ली में आपको खुलकर समर्थन दिया। इसे बहुत विनम्रता से स्वीकार करें। न केवल हमारे युवाओं बल्कि हर नागरिक के लिये वह काम करें कि हम सभी इन भ्रष्टाचारियों के वज़न, लम्बाई, चौड़ाई, (खास कर सीने की चौड़ाई) के हिसाब से इनके माप के बोरे बनवा, देश की जनता इन्हें अरब सागर के बीच डुबो कर यह सुनिश्चित करें कि ये लोग फ़िर वापिस आकर अपनी दुकानें देश में न चला सकें।

हालांकि दोनों मौसेरी बहनों का वर्तमान और पिछला रिकॉर्ड देख कर यह कहा जा सकता है कि ये कोई भी सम्भव या असम्भव काम करने में पूरी तरह से सक्षम हैं। ‘इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों’ की पूरी पूरी सुरक्षा के लिये, ताकि उसमे कोई छेड़-छाड़ न हो, हर व्यक्ति को सजग रहना होगा। सारा सरकारी तंत्र इनके आधीन है। लेकिन मेरी ऐसी राय है कि मीडिया में सभी सकारात्मक चुनाव विश्लेषण जो कि आम आदमी के पक्ष मे है, इसे झुटलाने के लिये कोई हेरा फ़ेरी करने का दुःसाहस शायद न करें। अभी तक आशा है कि आप इस भीषण धर्मयुद्ध में सहस्त्रो कौरवों के चक्रव्यूह को तोड़ कर अपनी सरकार अवश्य बनाएंगे।

कौरवों का यह कैसा विफ़ल चक्रव्यूह? कहावत है कि यदि आप ऊपर थूकेंगे तो आपका थूक आपके मुँह पर ही वापिस आकर गिरेगा। घोर हताशा में, देश के वित्त मंत्री और कानून मंत्री अपने पद की गरिमा भूल कर “अपराधी” केजरीवाल के खिलाफ़ तुरन्त गिरफ़्तारी की कानूनी प्रक्रिया करने के बजाय हवाला करने का घिनौना आरोप लगाते हैं। हर चेनेल पर प्रसारित करवाते हैं। बाद में यह भी कहते हैं कि कम से कम अनैतिक अपराध तो हुआ ही है। वाह रे देश को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वालो! यदि आपसे अपने कुछ नैतिक काम गिनाने को कहा जाए तो अपने नैतिक काम गिनाने का अकाल पड़ जाएगा।
आपको बहुत घमण्ड हो गया कि आपने 31% जनता के सहयोग से पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली जिसका कारण था बटा हुआ विपक्ष। कहावत है कि सारे अपराधी और भ्रष्टाचारी अपनी रक्षा हेतु तुरन्त एक हो जाते हैं लेकिन अच्छे लोगों का एक साथ आना बहुत दूभर है। फ़िर भी दिल्ली मे स्थिति बदली है। सभी सही सोच के नागरिक एक हुए हैं।

आपका सत्ता पर काबिज़ होने का दूसरा कारण है ऊपर से नीचे तक भ्रष्ट आपकी मौसेरी बहन कांग्रेस से रुष्ठ जनता के सामने इसे परास्त करने के अलावा कोई भी दूसरा विकल्प शेष नहीं बचा था। उस समय तक दूसरे शक्तिशाली विकल्प की स्थापना तो हो चुकी थी, लेकिन बिना साधन और कारगर संगठनात्मक ढांचे के सारे देश में अपने पैर पसारने और अपनी बहुत सी अन्य भूलों के कारण वह तुरन्त कारगर न हो सका। जनता के सामने दो विकल्प खुले हुए थे, कुंआ और खाई। दुर्भाग्य से खाई में गिरने का विकल्प सफ़ल हो गया। झूठे चुनावी “जुमलों”,अपार धन शक्ति, निम्न स्तर की राजनीति, सारे गन्दे चुनावी हथकण्डे अपना कर आपने अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली।

आप चाहे कितने ही आश्वस्त रहें लेकिन यह प्रश्न आपको हमेशा परेशान करते रहेगा कि आपकी मौसेरी बहन कांग्रेस जिसकी अन्तिम बिदाई की तैयारी देश ने कर ली है, अपने चुनावी हथकण्डों से 67 साल तक अपना अस्तित्व बचा सकी। आप इन्ही सीखे हुए हथकण्डों और चुनावी जुमलों से कितने दिन तक अपना अस्तित्व बचा पाएंगे? दो बार तो आपकी काठ की हांडी चढ़ चुकी। What next after 5 years?

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