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झुग्गी-झोंपड़ी की समस्या

मेरा नज़रिया
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झुग्गी-झोंपड़ी की समस्या हमारे देश की बड़ी समस्या के रूप में उभरकर सामने आयी है. हमारे देश में झुग्गी-झोंपड़ियों के पनपने का प्रमुख कारण यह है कि यहाँ भूमि-सुधार कानूनों को कड़ाई से लागू नहीं किया गया है. एक तरह से यह समस्या जातिवाद की देन है, क्योंकि ‘पिछड़ी’ या ‘अछूत’ माने जाने वाले लोग शुरू से भूमिहीन रहे हैं. ये ही लोग भूमि के अभाव में जहाँ-तहां झुग्गियां बनाकर बस गए.

पश्चिम बंगाल राज्य में झुग्गी-झोंपड़ियां अन्य राज्यों के मुकाबले कम हैं. इसकी एक वजह यही है कि यहाँ भूमि-सुधार योजनाओं को सुनियोजित तरीके से लागू किया गया है. वैसे पूरी सफलता तो यहाँ भी नहीं मिली है. पूरी सफलता न मिलने का कारण यह है कि यहाँ पडोसी देश ‘बांग्लादेश’ से शरणार्थी काफी तादाद में आये हैं, जो बसते गए हैं. ऐसे लोगों की संख्या झुग्गी बस्तियों में ज्यादा है.

राज्य सरकार अपनी ‘वोट-बैंक’ की नीति की वजह से अवैध रूप से रह रहे इन बांग्लादेशियों को वापस भेजने से कतराती रही है, क्योंकि सरकार चाहे किसी भी दल की हो, वोट-बैंक तो यही लोग बनते आ रहे हैं. करीब एक दशक पहले पश्चिम बंगाल के तत्कालीन खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ने यह स्वीकार किया था कि राज्य में राशन कार्डों की संख्या आबादी से करीब 1 करोड़ ज्यादा है. इसका सीधा मतलब यही हुआ कि या तो इस राज्य में 1 करोड़ के करीब अनाधिकृत वोटर हैं, जिन्होंने तिकड़म से राशन कार्ड हासिल कर लिया है; या यह सरकार बिना जांच-पड़ताल किये मृत लोगों के राशन कार्ड भी जारी रखे हुए है. एक और ध्यान देने की बात यह है कि 3 साल तक की उम्र के बच्चों का राशन कार्ड नहीं बनता. फिर तो राशन कार्डों की संख्या आबादी से कम ही रहनी चाहिए, ज्यादा नहीं. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब पश्चिम बंगाल जैसे तथाकथित ‘जागरूक राज्य’ की यह स्थिति है तो पूरे देश की क्या स्थिति होगी?

सचाई तो यह है कि हमारे अधिकांश नेता व मंत्री पूर्व जमींदार रह चुके हैं और वे भला अपनी जमीन गरीबों में क्यों बंटने देंगे? इसी कड़वे सच की वजह से कोई भी सरकार अभी तक भूमि-सुधार कानूनों को कड़ाई से लागू नहीं कर पाई है. इसका खामियाजा हमें झुग्गी-झोंपड़ियों के रूप में भुगतने को मिल रहा है. सवाल यह भी है कि जब ये झोंपड़ियां बनाई जा रही थीं, उस समय सरकार ने इनके खिलाफ कोई कठोर कदम क्यों नहीं उठाया? क्या उस समय सरकार सो रही थी? स्पष्ट है कि पहले तो सरकार हर बुराई को बढ़ावा देती है और जब पानी सर से ऊपर हो जाता है तो उसे दूर करने में अपने को असमर्थ पाती है.

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