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लम्हों को मिले इंसाफ होता है कहानी में
विवेक रंजन श्रीवास्तव
लम्हों को मिले इंसाफ होता है कहानी में
लफ्जो में खता माफ होता है कहानी में
जब जब वो रूठे मुझ से , दिल हुआ घायल
मैं उनको मना लाया , बस एक कहानी में
मिल जाये अगर शोहरत तुमको जो रातों रात
समझो कि तुम किरदार हो उसकी कहानी में
कुल तीन कहानी लिखकर गुलेरी हुये अमर
“उसने कहा था” सचमुच ,क्या बात ! कहानी में
रोतों को हँसा देता , दिल पत्थर भी रुला देता
छू लेता तेरे जज्बात , कथाकार कहानी में
रूठे हुये हमदम , एक गाने में मान जाते
ये जादुई करिश्मात , होते हैं कहानी में
एक सफे के सफर में , हीरो हुआ अमीर
तकदीर बदल जाये , वो बात कहानी में
नायक की तबीयत , मौके पे बिगड़ जाये
बन जाये बिगड़ी बात , हर हाल कहानी में
जिंदगी में पर , सच का करना है सामना
करना है कुछ यूं कि , लिखें वो कहानी में
विवेक रंजन श्रीवास्तव
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
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