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कोयला बेचने वाले ‘हरपलानी’ आज हैं 400 आश्रमों के मालिक आसाराम
आसाराम का विवादों के साथ चोली-दामन का साथ है। विवाद उनका पीछा छोड़ना नहीं चाहते या फिर वे उनसे पीछा छुड़वाना नहीं चाहते। हालिया विवाद।।दिल्ली के कमला मार्केट थाने में यौन शोषण का मामला दर्ज कराया गया है। यह मामला एक नाबालिग लड़की ने दर्ज कराया है। उनपर रेप (धारा 376), छेड़खानी (धारा 354) और धमकी देने (धारा 509) में मामला दर्ज हुआ है। दिल्ली पुलिस मामले को जोधपुर ट्रांसफर कर देगी। आरोप है कि जोधपुर आश्रम में आसाराम बापू ने लड़की का यौन शोषण किया था। आसाराम के प्रवक्?ता का कहना है कि आरोप झूठे हैं और आने वाले समय में सच्चाई सबके सामने आ जाएगी।
नाबालिग लड़की के साथ रेप के आरोपों से संकट में घिरे विवादास्पद आसाराम ने खुद को निर्दोष बताया है और आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ साजिश की जा रही है।इतना ही नहीं आसाराम बापू ने अपनी तुलना भगवान बुद्ध से की। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध को भी ऐसे आरोपों का सामना करना पड़ा था और मैं भी इन्हीं का सामना कर रहा हूं। लेकिन सच्चाई जल्द ही सामने आ जाएगी।स्वयंभू भगवान कहलाना पसंद करने वाले आसाराम ने दावा किया कि वह निर्दोष हैं। लड़की को किसी ने गुमराह किया है। देर सबेर, उसे और उसके परिवार को इसका अहसास होगा और फिर वे मेरे पास आएंगे।
आसाराम बापू पर लग रहे आरोपों की झड़ी के बीच एक और चौंकाने वाले आरोप सामने आएं है। पीड़ित लड़की ने दावा किया कि आसाराम बापू ने उसे ओरल सेक्स के लिए दबाव डाला था।सूत्रों के मुताबिक लड़की ने पुलिस को जांच में बताया कि आसाराम ने उसकी स्कर्ट उतारकर, उसके साथ छेड़छाड़ का प्रयास किया वहीं उसे ओरल सेक्स के लिए मजबूर किया। हालांकि लड़की ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया था।लड़की ने पुलिस को ये भी बताया कि शोर न करने के लिए धमकाया भी गया। इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट के मुताबिक ये घटना 15 अगस्त रात दस बजे जोधपुर से 40 किमी दूर की है।
आसाराम बापू पर आरोप है कि उनके छिंदवाड़ा स्थित गुरुकुल में लड़की की तबीयत खराब होने पर उसके माता-पिता को उत्तर प्रदेश में उनके घर बताया गया। जब पीड़िता के माता-पिता गुरुकुल पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि लड़की की तबीयत में फिलहाल सुधार है, लेकिन उसकी झाड़-फूंक होगी और अनुष्ठान भी होगा। उन्हें यह भी बताया गया कि सारा अनुष्ठान खुद बापू ही करेंगे। उस वक्त आसाराम बापू जोधपुर के पास एक होटल में ठहरे थे और लड़की को भी वहीं बुलाया गया।अपनी गिरफ्तारी की आशंका के बीच आध्यात्मिक गुरु आसाराम ने धमकी दी है कि अगर उनके साथ जबरदस्ती की गई तो वह अन्न-जल का त्याग कर देंगे। उन्होंने कहा कि जेल में मेरे साथ साजिश हो सकती है। उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा कि अगर ऐसा हुआ तो पब्लिक क्या करेगी यह वही जाने।
खुद को संत कहने वाले आसाराम की नाक पर ही गुस्सा रखा रहता है। जब उन्हें गुस्सा आ जाए तो वे किसी को नहीं छोड़ते, फिर चाहे वह मीडिया हो या कोई राजनीतिज्ञ। आसाराम के दो आश्रमों में बच्चों की लाशें भी मिल चुकी है। आरोप लगा कि आश्रम में काला जादू होता है। दवाइयों में भी मिलावट का आरोप लगा तो आश्रम में छापे पड़े।
विवाद आसाराम के लिए कोई मायने नहीं रखते, क्योंकि इससे उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। कह सकते हैं कि आलोचकों की वे परवाह नहीं करते और कानून का उन्हें डर नहीं। आइए जानते हैं आसाराम का इतिहास और उनसे जुड़े ऐसे विवाद, जो मीडिया की सुर्खियों में रहे।।।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में पैदा हुए।।
नाम : संत आसाराम बापू
जन्म : 17 अप्रैल 1941
स्थान : सिंध प्रांत (पाकिस्तान)
पिता : थौमल सिरुमलानी
माता : मेहनगिबा
पत्नी : लक्ष्मी देवी
बच्चे : नारायण प्रेम साई (बेटा), भारती देवी (बेटी)
विभाजन के समय आसाराम का परिवार पाकिस्तान से गुजरात आ गया था। 17 अप्रैल 1941 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बेरानी गांव में पैदा हुए आसाराम हरपालानी के पिता कोयला और लकड़ी बेचते थे। जबकि आसाराम बापू आज लाखों लोगों के पूजनीय बन गए हैं।
इस सफर की शुरुआत करीब 42 साल पहले हुई। तब गुजरात में आसाराम हरपालानी को करीब 10 एकड़ उपजाऊ जमीन मिली और इसी जमीन पर उन्होंने अपना पहला आश्रम बनाया। जल्द ही उन्होंने अपना सरनेम हरपालानी की जगह बापू कर लिया। आज उनके दुनिया भर में 400 से ज्यादा आश्रम और लाखों भक्त हैं।
आसाराम पर पहले भी कई गंभीर आरोप लगे हैं, लेकिन पहली बाहर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है। इससे पहले उनके आश्रम में बच्चों की मौत के कई मामले सामने आए थे। इतना ही नहीं, आसाराम इससे पहले भी कई बार विवादों में घिर चुके हैं, लेकिन अब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है। आसाराम हर बार ये कहकर बच निकलते हैं कि ये उन्हें बदनाम करने की साजिश है।
बापू को गुस्सा कब आ जाए, यह कोई नहीं जानता। कुछ ऐसा ही दिलचस्प मामला पंजाब के जालंधर शहर में 29 मई, 2012 को देखने मिला था। दरअसल आसाराम का यहां एक कार्यक्रम था। पंजाब के मौसम के हिसाब से इस दिन भी गर्मी का मिजाज बिगड़ा हुआ था। एक तो पंजाब की गर्मी और दूसरी तरफ कार्यक्रम स्थल में कोई पंखा नहीं। बस इसी बात पर आसाराम का पारा इस कदर चढ़ा कि उन्होंने कार्यक्रम आयोजकों यानी की अपने सेवादारों को बुलाया और लोगों को सामने ही उनसे पंखे न लगवाने के कारण उठक-बैठक करवाई।26 अप्रैल 2012 को भदोही के गोपीगंज में रामलीला मैदान में संत आसाराम बापू का प्रवचन व सत्संग था। दोपहर बाद करीब तीन बजे बापू के साथ कई वाहनों का काफिला एक कंपनी के परिसर में पहुंचा। इसमें एक लालबत्ती लगी गाड़ी भी थी। यहां उनका कुछ देर आराम करने का कार्यक्रम था। जैसे ही आसाराम बापू का काफिला पहुंचा राहुल गुप्ता लालबत्ती वाहन समेत बापू की रिकॉडिर्ंग करने लगे। इस पर आसाराम बापू और उनके समर्थक भड़क उठे और गुप्ता की पिटाई करने के साथ ही कैमरा छीनकर तोड़ डाला। आमतौर पर संत धर्य रखने और नियमों का पालन करने की बात कहते है, लेकिन बापू का मामला जरा हटके ही है। इन्हें तो नियमों का पालन करने में बहुत गुस्सा आता है। हालांकि वे भक्तों से नियम और संयम का पालन करने को तो कहते हैं, लेकिन असल जीवन में खुद ही नियमों का पालन नहीं करते। यह घटना 13 दिसंबर 2011 की है, जब बापू इंडिगो विमान से वडोदरा से दिल्ली आ रहे थे तो उन्होंने नियमों की बात पर विमान में ही जमकर हंगामा किया।
सूत्रों के मुताबिक चेक इन काउंटर पर देरी से पहुंचने की वजह से उन्हें काउंटर पर तैनात कर्मचारी ने बोडिर्ंग पास देने से इनकार कर दिया। इस पर बापू के समर्थकों ने हंगामा कर दिया जिसके बाद उन्हें बोर्डिंग पास दे दिया गया। यही नहीं विमान के क्रू मेंबर ने जब उनसे सुरक्षा हेतु सीट बेल्ट बांधने को कहा तो गुस्से से लाल पीले होकर बापू छाती तक पीटने लगे।
संत आसाराम बापू के आश्रम में काला जादू होता था। गुजरात पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष आश्रम के दो बच्चों की मौत की जांच कर रही गुजरात की पुलिस की सीआईडी ने आश्रम के तीन साधकों का झूठ पकड़ने वाला परिक्षण करवाया था, जिसमें उन्होंने काले जादू की बात कबूल की है।
दरअसल, पिछले वर्ष बापू के साबरमती आश्रम में रहने वाले दो बच्चों की रहस्यमय हालत में मौत हो गई थी। उसके बाद आसाराम के आश्रम के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़क उठा था। हालात इतने बिगड़ गए थे कि राज्य सरकार को इस मामले की जांच की घोषणा करनी पड़ी थी।
जांच के दौरान आश्रम के तीन साधकों मिनकेतन, विकास खेमका और उदय संगानी का 22 जनवरी 2009 को परिक्षण किया गया, जिसमें तीनों ने ये बात कबूल की कि आश्रम में काला जादू होता था। इतना ही नहीं उन्हें आश्रम की तमाम गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी।आश्रम के तीनों साधकों की रिपोर्ट राज्य सरकार ने गुजरात की उच्च न्यायालय में दाखिल की है।
समय-समय पर आपा खोने वाले आसाराम ने कुछ महीनों पहले गाजियाबाद में भी एक पत्रकार के सवाल पूछने पर उसे घूंसा रसीद कर दिया था। आरोप है कि रोहित गुप्ता नाम का पत्रकार आसाराम बापू के समारोह की कवरेज करने गया था। इसी दौरान आसाराम के समर्थकों ने पत्रकार पर हमला कर दिया और उसकी पिटाई की। पत्रकार का आरोप है कि आसाराम बापू ने ही समर्थकों को हमले के लिए उकसाया था।
हड़प गए 700 करोड़ की जमीन?आसाराम और उनके बेटे पर मध्य प्रदेश के रतलाम में 700 करोड़ रुपए की जमीन हड़पने का संगीन आरोप लगा है। आरोप है कि साल 2001 में रतलाम की एक फैक्ट्री की जमीन आसाराम ने सतसंग के लिए किराए पर ली थी, जिसपर उन्होंने कब्जा जमा लिया। नारायण साईं की वेबसाईट में मंदिर के पास की जमीन आसाराम अपनी बता रहे हैं। पूरे 200 एकड़ जमीन कब्जा करने का आरोप आसाराम पर लग रहा है। आरोप है कि मध्य प्रदेश के रतलाम की 200 एकड़ जमीन पर आसाराम और उनके बेटे नारायण ने साल 2001 से कब्जा कर रखा है।
आसाराम बापू के मुताबिक दिल्ली गैंगरेप घटना के लिए पीड़ित लड़की भी जिम्मेदार थी क्योंकि ताली एक हाथ से नहीं बजती। उनका तो यह भी मानना था कि 6 आरोपियों के सामने अगर वह उनको रोकने की गुहार लगाती तो शायद वह बच सकती थी। इससे उसकी इज्जत और जिंदगी दोनों बनी रहती।
राहुल गांधी कम बुद्धि वाले बबलू-9 अक्टूबर 2011 को दिल्ली में आसाराम बापू का एक ध्यान शिविर आयोजित किया गया था। जिसमें उन्होंने राहुल गांधी के लिए भी एक विवादित बयान दे डाला था। आसाराम बापू ने कहा कि राहुल गांधी कम बुद्धि वाले बबलू हैं।
अध्यात्म की दुनिया में आसाराम बापू एक ऐसा नाम है जो अक्सर अखबारों और टीवी चैनलों की सुर्खियों में छाया रहता है। लेकिन अधिकतर समय कोई ना कोई विवाद ही होता है जो इन्हें सुर्खियां दिलाता है। आसाराम ने कई सारे ऐसे विवाद दिए हैं जिनकी वजह से वो सुर्खियों में छाए रहे। ये विवाद ऐसे थे जिन्होंने पूरे देश के लोगों को झकझोर के रख दिया।
पानी किसी के बाप का नहीं: होली में पानी बचाने की अपील पर भी आसाराम ने विवादित बयान दिया था। 27 मार्च 2013 को आसाराम ने ये बयान दिया था कि पानी किसी के बाप का नहीं है। ये बयान उन्होंने तब दिया जब लोगों ने उनके द्वारा हजारों लीटर पानी बर्बाद करने का आरोप लगाया। आपको बता दें कि सूरत में आसाराम बापू ने हजारों लीटर पानी से होली खेली थी। बापू ने कहा कि हम किसी सरकार या सरकार के बाप का पानी नहीं लेते ।
रेप के आरोप में फंसे संत आसाराम बापू पर अब उनकी ही जमात के लोग अंगुली उठाने लगे हैं। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा है कि आसाराम बापू ने बहुत थू-थू करा ली अब उनको शादी कर लेनी चाहिए। गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने आसाराम बापू के खिलाफ धारा 376 यानि रेप, धारा 342 यानि जबरन बंधक बनाकर रखने के तहत मामला दर्ज किया है।
चारों तरफ से आसाराम पर पड़ रहे दबाव के बीच जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने आसाराम पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि आसाराम बापू न संत हैं और न ही धर्माचार्य हैं, वह सिर्फ एक गृहस्थ कथा वाचक हैं जो प्रवचन करते हैं।शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि संत या धर्माचार्य बनने के लिए किसी गुरु से दीक्षा लेनी पड़ती है, संन्यास लेना होता है, लेकिन आसाराम बापू ने किसी गुरु से दीक्षा नहीं ली और न ही उन्होंने संन्यास लिया है।कथा वाचन और प्रवचन उनका व्यवसाय है। इसी तरह सिर्फ गेरुआ वस्त्र पहनने से भी कोई संत या धर्माचार्य नहीं हो जाता
भारत भूमि संतों-महातमाऒ, ऋषियों-मुनियों की भूमी है। समय समय पर भगवान ने भी इस पावन धरा आवतरित होकर इसके गौरव व गरिमा को चार चांद लगाए हैं। कितने ही ऐसे महापुरुष हुए जिनको भगवान का आवतार माना जाता है जैसे कि जगत गुरु शंकराचायॆ जी, संत कबीर, गुरु नानक देव जी आदि।
परंतु किसी ने भी न तो सवयं को भगवान कहा और न ही खुद की पूजा करवाई। वो जीवन भर शांति और भाईचारे का संदेश देते रहे। उनहोंने कभी भी हिंसा का सहारा नही लिया। उनहोने पूरा जीवन मानवता की भलाई के लिए लगा दिया। वो हमेशा मान- सममान, धन व पराई औरत से दूर रहे।
किंतु आज समय विपरीत हो गया है। आज के समय में आसाराम बापू जैसे ढोंगी,पाखंडी व धुरत लोग जो संत भी कहलाने के लायक नही वो खुद को भगवान बताते हैं एंव भगवान की पूजा छुडवाकर खुद की पूजा करवाते हैं। धरम के नाम पर जनता को लुटते हैं। ये तांत्रिक आसाराम आज भगवान के नाम पर लाखों लोगों की भावनाऒं से खिलवाड करता है। ये तांत्रिक आसाराम जो खुद कभी गुरु पुनम पर भी गुरु सथान पर नही जाता, जो कभी खुद के गुरु की पूजा नही करता और आज खुद की पूजा करवाने के लिए आब गुरु महिमा गाने लगा है। गुरु के नाम पर कलंक है आसाराम बापू।
इस तांत्रिक आसाराम का लडका नारायण सिंधी यानी छोटा तांत्रिक भी बाप के नकसे कदम पर है
ऐसा नहीं है कि ‘बापू’ इन आरोपों के अकेले शिकार हैं। स्वामी नित्यानंद का मामला आपको याद होगा। तमाम महिलाओं से रिश्ते रखने के आरोपी इस तथाकथित संत को तो 52 दिन जेल में रहना पड़ा था। यह बात अलग है कि अब वह बाहर हैं और उनके प्रवचनों का रंग फिर से चोखा होता जा रहा है। 2010 में एक टीवी चैनल ने तमाम प्रवचनकर्ताओं पर स्टिंग ऑपरेशन किया था। उसमें ये बाबा लोग हवाला के जरिये काले धन को सफेद करने का आश्वासन देते दिखाए गए थे। तब भी सवाल उठा था कि ऐसी कलंक कथाएं कब तक चलती रहेंगी? जाहिर है, ऐसे लोगों के पास धन और जन-बल इतना होता है कि वे अव्वल तो कानून के घेरे में नहीं आते और आ भी जाते हैं, तो नित्यानंद की तरह दोबारा अपने स्वार्थ का सरंजाम जुटाने में कामयाब हो जाते हैं। इसके उलट नरेंद्र दाभोलकर जैसे लोग हमेशा अकेले पाए जाते हैं।
आज धर्म, अध्यात्म, भगवान, भक्ति, परलोक परिष्कार और भविष्य सुधार के चोले में इतने धूर्त गिरोह सक्रिय हैं कि इनकी गिनती असंभव हैं। इनमें अरन-खरबपति धोखेबाजों-धंधेबाज भी शामिल हैं और सड़कछाप भी। कुछ तो सिर्फ महिलाओं का यौन शोषण करने को ही अपना धार्मिक अनुष्ठान बनाए हुए हैं। हर दूसरे दिन ऐसे किसी न किसी धूर्त ढोंगी का चेहरा उजागर होता है जो किसी न किसी बच्ची, लड़की या औरत को अपनी हवस का शिकार बनाता हुआ पाया गया है। ताजातरीन और मन को झिंझोड़ देने वाला मामला उस आसाराम बापू का है जिस पर पहले भी कई आपराधिक आरोप लग चुके हैं।
यहां मूल मुद्दा यह है कि क्या निकट भविष्य में भारतीय समाज को तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, भूत-प्रेत जैसी व्याधियों से मुक्ति दिलाने का कोई रास्ता खुलेगा। क्या कोई ऐसी सूरत बनेगी जिसमें इन व्याधियों को पनपाने, फैलाने और इनसे अकूत धन-जन संपदा जुटा लेने वाले विषैले जीवाणुओं को नष्ट किया जा सके? फिलवक्त ऐसी उम्मीद नजर नहीं आती। ये विषैले जीवाणु आज धन और अपने अंध अनुयाइयों के जनबल के आधार पर जो राजनीतिक शक्ति अर्जित कर लेते हैं, उसके विरोध में सीधे खड़े होने की क्षमता मौजूदा चुनावी राजनीतिक तंत्र खो चुका है।
राजनीतिक दलों को इनके जनबल का प्रत्यक्ष लाभ मिलता है इसलिए वे इनका विरोध करने के बजाए इनके आगे हाथ जोड़े खड़े रहते हैं। राजनीतिक ताकतें पर्दे के पीछे चल रहे इन कुकर्मो के बारे में जानकारी रखते हुए भी इनकी ओर से आंखें मूंदे रखती हैं कि कहीं उनके वोट बैंक में दरार न पड़ जाए। इसलिए विरोध करना तो दूर, कभी-कभी सीधे इनके बचाव में उतर जाती हैं। इक्कीसवीं सदी के भारत को डॉक्टर दाभोलकर जैसे लोग चाहिए या शोशेबाजी के जरिये हमारी जेबों से पैसा निकालकर हम ही को धमकाने वाले पाखंडी?
विवेक मनचन्दा
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