Menu
blogid : 26649 postid : 7

यौन शोषण महज कानून रोक पायेगा?

withraaz
withraaz
  • 2 Posts
  • 1 Comment

किसी का क़त्ल कर उसकी सांसो को रोका जाता है लेकिन बलात्कार कर उसकी रूह के साथ खिलवाड़ किया जाता है

पता नहीं आज तक कितनी बार लोग मोमबत्ती जलाकर सड़को पर उतरें होंगे लेकिन अभी भी सच यही की हर १३ मिनट में भारत में किसी न किसी के साथ कहीं ना कहीं बलात्कार किया जाता है।
आकड़ो पर जाएँ तो तस्वीर ये कहकर डराती है की हर रोज़ ६ मासूम बच्ची के साथ बलात्कार किया जा रहा है और मासूम कली के साथ होने वाले इस अपराध में ८२% की बढ़ोतरी हुई है ।
NCRB के २०१६ के आकड़ो के अनुसार रोजाना १०६ महिलाओ के साथ बलात्कार किया जा रहा है और इस घिनौने अपराध में शामिल होने वाले अपराधियों में से ९४.६ अपराधी और कोई नहीं बल्कि पीड़िता के भाई, पिता, सम्बन्धी या फिर जान पहचान वाले होते हैं ।

जब अपने ही हैवान बन जाएँ तो फिर राश्ता किस और जाता है
भरोसा किस पर किया जाये और साथ किसके रहा जाये
सजा किसको दिया जाये और अपराध कैसे कम किया जाये

निर्भया के बाद निर्भया
आंदोलन के बाद आंदोलन
कानून के बाद कानून
फिर भी अपराध की घटनाओ में किसी भी तरह का बदलाव या कमी न होने के पीछे की वजह क्या है ??
क्या वाकई कानून बनाने से इस अपराध को रोका जा सकता है ??
ऐसा नहीं है की कानून से कोई बदलाव या फायदा नहीं हुआ है लेकिन क्या हम समझ पा रहें हैं की समस्या कहाँ पर है और उसका हल क्या है??

पुरुष प्रधान देश की मानसिकता को अभी तक हम भुला नहीं पाए हैं और ये जो अहंकार हमारे मन में है उस विचार को छोड़ने के लिए हमे अपने संस्कारो को समझने की जरुरत होगी लेकिन सच ये भी है की बदलते समय में अपने संस्कारो को समझने या समझाने का समय किसी के पास नहीं है
समय बदल रहा है और बदलते समय के अनुसार लोग भी बदल रहें हैं, लेकिन सच ये भी की इस बदलाव का उपयोग हम सही तरीके से करने में विफल रहे हैं
हम उस महिला की आत्मा को समझने में विफल रहे हैं जिसके अंदर भी परमात्मा का निवास है
हम अपने आप को ये समझाने में विफल रहे हैं की महिला के साथ किस तरह का व्यवहार करना चाहिए और उनको सम्मान किस तरह से दिया जाना चाहिए
अगर अपने जान पहचान के लोग ही इस अपराध में शामिल है तो इसका मतलब साफ़ है की हम इंसान से जानबर होते जा रहे हैं और हमे जीवन जीने का जो भाग्य प्राप्त हुआ है उसके साथ हम इन्साफ नहीं कर पा रहे हैं

हर घर में ये सिख देने की जरुरत है की किसी भी महिला के साथ किसी भी पुरुष का व्यवाहर कैसा होना चाहिए
किसी भी महिला को देखने की दृष्टि बदलने की जरुरत है उसको इस तरह ना घूरें की आपके घूरने से उसको घबराहट हो
आपका हर महिला पर अपना अधिकार नहीं हो सकता और ये बात जिम्मेदारी से समझने की जरुरत है

आजके समय जब हर जगह पैसे का बोलबाला है उस समय विज्ञापन और फ़िल्मी इंडस्ट्री को भी इस बात को समझने की जरुरत है की महिला को बस्तु के तरह उपयोग ना करें और उनको सम्मान दें क्योकि समाज भी वहीँ सीखता है जो उसे दिखाया जाता है

हिन्दू हो या कोई और धर्म महिला के सम्मान की बात हर कोई सिखाता है बस समय की मांग है की थोड़ा सा धीरज रख कर अपने संस्कारो को समझे और घर में समझाएं

मानसिकता जब तक बदल नहीं सकती तब तक अपराध की घटना में कमी आना असंभव है इसलिए सोच को बदलने के लिए हर घर से आवाज निकालनी जरुरी है क्योकि कानून घटना होने के बाद सजा तो दे सकती है लेकिन घटना को रोक नहीं सकती ।

वक़्त बहुत अजीब सा आने वाला है और उससे पहले की हर तरफ डर का माहौल हो संभल जाने का समय है वरना अपने घर में अपने लोग चैन से नहीं रहा पाएंगे ।

Tags:         

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh