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उन सभी के लिए उत्सुकता का विषय था जब दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान 28 साल की एक माहिला बाउंसर बॉलीवुड के सितारों के लिए सुरक्षा कवच बनी. पांच फुट चार इंच की मेहरुन्निशा को जो भी देखता है उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती है. जब वह शाहरुख खान, अक्षय कुमार, सलमान खान और दीपिका पादुकोण जैसे सितारों की ईर्द-गिर्द रहकर उनकी रक्षा करती हैं तो देखने वालों के लिए आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता.
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जन्मी मेहरुन्निशा के लिए यह सब करना उतना आसान नहीं था. वह जिस परिवार से आई हैं उस परिवार में किसी लड़की को घर से बाहर कदम रखने की इजाजत नहीं है. उनकी मां एक हिंदू परिवार से नाता रखती हैं तो पिता मुस्लिम. अपनी मां काला मिश्रा के बारे मेहरुन्निशा कहती हैं कि पिता शौकत अली से मेरी मां बहुत प्यार करती थी और उनसे शादी करना चाहती थी. इसके लिए वह परिवार के खिलाफ भी गईं. लेकिन शादी के बाद पता चला कि पिता बहुत रूढ़िवादी विचारधारा के हैं.
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सात-भाई बहनों में तीसरे नंबर की मेहरुन्निशा अपने पिता के बारे में कहती हैं कि ‘शौकत अली बिजली का कनेक्शन काट दिया करते थे ताकि उनकी बेटियां पढ़ न सकें. वह सोचते थे कि अगर हम पढ़ लिख गए तो हम भागकर अपनी पसंद के किसी पुरुष से शादी कर लेंगे, लेकिन मेरी मां ने सभी तरह के दर्द को सहते हुए रात में मोमबत्ती जलाकर पढ़ाया करती थी’.
मेहरुन्निशा कहती हैं कि ‘मेरी मां नहीं चाहती थी कि मेरी शादी जल्दी हो जाए. इसलिए मैने खुद को मजबूत करने की ठानी. मैने अपना नाम एनसीसी कैडेट में लिखवाया इस आशा से कि आने वाले समय में पुलिस की नौकरी मिल जाएगी लेकिन ऐसा हो न सका’.
शेयर बाजार में पिता शौकत अली को काफी नुकसान हुआ जिसके बाद मेहरुन्निशा का पूरा परिवार 2007 में दिल्ली सिफ्ट हो गया. धर के खर्चों के लिए पिता ने इंटीरियर डेकोरेटर का काम शुरू किया जिसमें निशा के भाई हाथ बटाया करते थे. उधर मेहरुन्निशा भी रोजी रोटी के लिए कुछ करना चाहती थी. उसने कपड़े की दुकान में काम करना शुरू किया. बाद में उसे एक एनजीओ के साथ काम करने का मौका मिला. यहीं से मेहरुन्निशा को महिला बाउंसर के बारे में जानकारी मिली. खास बात यह है कि उस दौरान मेहरुन्निशा कराटे जानती थी इसलिए वह बाउंसर को लेकर ज्यादा जिज्ञासु और उत्सुक थी.
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आज मेहरुन्निशा और उसकी बहन एक प्रोफेसनल बाउंसर हैं लेकिन उनके लिए यह काम करना आसान नहीं है. बाउंसर के रूप में मेहरुन्निशा का पहला जॉब जामिया मीलिया इस्लामिया में एक कंपनी के डेलिगेशन मीटिंग में लगी जहां वह कैंपस में महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तैनात थी. एक महिला बाउंसर के तौर पर मेहरुन्निशा विभिन्न तरह के कार्यक्रमों, लाउंज, डिस्क और क्लबों में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करती हैं साथ ही जरूरत के समय पुरुष बाउंसर का बचाव भी करती हैं. मेहरुन्निको तब हस्तक्षेप करना पड़ता है जब नशे में ग्राहकों और पुरुष बाउंसरों के बीच भिड़ंत हो जाती है.
शा को यह काम करते हुए चार साल हो गए हैं और 15000 हजार महीना कमा लेती है. यही नहीं, आईपीएल मैच, रियलिटी शो, फिल्म प्रोमोशन कॉर्पोरेट लॉच के दौरान एक दिन के वह 500 रुपए लेती हैं. वैसे मेहरुन्निशा के लिए यह काम कई तरह की परेशानियां भी लेकर आती है. पार्टी और इवेट होने की वजह से उन्हें देर रात तक काम भी करना पड़ता है.
महिला कल्बों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पिछले दो सालों में महिला बाउंसरों की मांग बढ़ती जा रही है खासकर दिल्ली, मुंबई और बैंग्लोर जैसे शहरों में. कई बार देखने में आया है कि महिला सेलिब्रिटी पुरुष बाउंसरों के साथ असहज महसूस करती हैं उस समय महिला बाउंसरों की मांग जरूरी समझा जाने लगता है. महिलाओं को इसमें अपना कॅरियर बनाने के लिए मेहरुन्निशा कहती हैं मजबूत व्यक्तित्व और आत्मविश्वास और सही वेट तथा हाइट हो तो बाउंसर बना जा सकता है….Next
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