- 86 Posts
- 100 Comments
‘चार लोग देखेंगे तो क्या कहेंंगे’. ये घिसा-पिटा जुमला जब मैंने बचपन में पहली बार सुना था तो मुझे समझ नहीं आया कि आखिर ये चार लोग कौन हैं? जो हमारी हर हरकतों पर नजर रखकर न्याय के मसीहा बने बैठे हैं. आज बेशक इस बात पर जोक बनाए जाते हैं लेकिन उस वक्त मुझे सच में यही लगता था. लेकिन आज बहुत सालों बाद समझ में आ चुका है कि ये ‘चार लोग’ दरअसल, वो दकियानूसी सोच है जिसे हम आज भी अपने कन्धों पर उठाए फिर रहे हैं.
हम में से ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो लकीर का फकीर बने रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं. तभी तो ‘स्टीरियोटाइप’ को तोड़ने में बेशक लंबा वक्त लगता है लेकिन जब भी जर्जर पड़ चुके दकियानूसी नियम टूटते हैं तो एक इतिहास बन जाता है. एक ऐसा ही इतिहास जुड़ा है 1967 में हुई बोस्टन मैराथन से. जहां पर पहली बार एक महिला को मैराथन में भाग लेने के लिए क्या कुछ नहीं करना पड़ा. कैथरीन स्विट्जर ने बचपन से सुना था कि बोस्टन मैराथन में केवल पुरुष ही दौड़ते हैं. उन्हें ये बात समझ नहीं आती थी कि आखिर मैराथन में फीमेल रनर्स के दौड़ने पर पाबंदी क्यों हैं. कैथरीन ने मैराथन में दौड़ने के लिए अपना नाम रजिस्टर्ड करवाया.
कहा जाता है कि उनके रजिस्टर्ड प्रतिभागी के रूप में दौड़ने से आयोजक जैक सेम्पल इतने नाराज हो गए थे कि बीच दौड़ में ही उनसे उलझ पड़े और उनका रजिस्ट्रेशन नंबर मांगने लगे. इस दौरान नजारा कुछ ऐसा था कि वो आगे-आगे दौड़ रही थी और मैराथन के सहयोगी आयोजकों के साथ मुख्य आयोजक जैक सेम्पल उनके पीछे-पीछे भाग रहे थे. वो आयोजकों को पीछे आते देखकर और भी तेजी से दौड़ने लगी.
जिदां रहने के लिए मिट्टी खाने को मजबूर थी यह महिला खिलाड़ी
उनके हौंसले और जिंदादिली को देखते हुए कैथरीन के बॉयफ्रेंड और कुछ अन्य दोस्तों ने उन्हें बचाने के लिए उनके चारों ओर घेरा बना लिया और रेस पूरी करने तक उनके साथ-साथ दौड़ते रहे. इस तरह कैथरीन ने ये मैराथन अपने नाम कर ली और इस तरह 1967 बोस्टन मैराथन हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई जहां एक महिला ने पुराने तयशुदा नियमों के आगे घुटने टेकने से मना कर दिया था…Next
Read more
इस KFC आउटलेट में क्या है खास, आने वाले लोग रह जाते हैं हैरान
30 सालों से अपने चेहरे को छुपा रखा है इन 7 महिलाओं ने, नाम है ‘गोरिल्ला गर्ल्स’
Read Comments