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ऐना नेनु ओडिपोलेडु यानी आइ हैव नॉट बीन डीफिटेड नामक ऑटोबायोग्राफी एक ऐसी महिला की ज़िंदगी की दास्ताँ है जिसने जीवन में आने वाली बाधाओं के सामने नतमस्तक होने से इंकार कर दिया. इंकार के बजाय वह उनसे जूझी जिसके कारण बाधाओं ने अपना मार्ग बदल लिया .
वारंगल के अनाथालय से अमेरिका में सीईओ तक का सफर उनके लिये आसान नहीं रहा. कम उम्र में अपनी माँ को खो देने के बाद डी अनिला ज्योति रेड्डी को शिक्षित करने के उद्देश्य से अनाथालय के सुपुर्द कर दिया गया.
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उन्होंने प्रथम श्रेणी से दसवीं की परीक्षा पास की. लेकिन अत्यधिक गरीबी के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ रोजगार की मशक्कत करनी पड़ी. अनिच्छा के बावजूद 16 वर्ष की उम्र में उन्हें दूर के रिश्तेदार भाई से शादी करनी पड़ी. इसके बाद उन्होंने पैसे कमाने के लिये विभिन्न तरह की नौकरियाँ की.
पति की अनुमति न मिलने के बाद भी वो गाँव से बाहर निकली और पेटिकोट सिलने का काम करने लगी. एक पेटिकोट को सिलने के बदले में उन्हें एक रूपया मिल जाता था. इससे वो दिन भर में 20 से 25 रूपये कमाने लगी. लेकिन बेहद महत्तवाकांक्षी रेड्डी सिर्फ इससे संतुष्ट होने वालों में से नहीं थी. अपने पति के दूर के एक रिश्तेदार से प्रभावित होकर उन्होंने सॉप्टवेयर का पाठ्यक्रम पूरा किया और यूएस चली गयी. वहाँ एक दुकान में 12 घंटे काम करने के एवज में उन्हें 60 डॉलर मिलने लगे जिससे उनका खर्च चल रहा था.
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धीरे-धीरे अपने किसी सम्पर्क की सलाह पर उन्होंने अपनी कम्पनी शुरू की जो उस समय अंग्रेजी में कमजोर होने के कारण उनके लिये किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था. फिर भी उनकी मेहनत रंग लाई और आज 60 से अधिक कर्मचारी उनकी कम्पनी में नियुक्त हैं. सच ही है मेहनत और लगन से किया गया काम ज़िदगी में आने वाली चुनौतियों को बौना कर देती है.Next…..
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