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नारी अधिकार के दावे और उनका खोखलापन जगजाहिर है. दावे-प्रतिदावे अकसर किए जाते रहते हैं किंतु अनुपालन शून्यता के कारण हालात जस के तस हैं. ‘महिला की स्थिति दोयम दर्ज़े के थी और रहेगी’ इसे पुरुष प्रधान समाज बड़े ही गर्व से रेखांकित करता है. अब इसे हम जागरुक और सशक्तीकृत समाज की मानसिकता कहें या फिर कुछ और……..?
दुनिया में कहीं भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. यूपी में बलात्कार की शिकार लड़की को जिंदा जला देने की दर्दनाक घटना सामने आई और कारण सिर्फ इतना था कि उसने अपनी शिकायत को वापस लेने से मना कर दिया था. गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में लड़की के पिता ने अपराधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. मामला कोर्ट में था. लड़की और उसके पिता पर समझौते का लगातार दबाव बनाया जा रहा था. एक सप्ताह पहले लड़की और उसके परिवार को धमकी दी गई थी कि यदि वह केस को वापस नहीं लेते हैं तो उन्हें जिंदा जला दिया जाएगा और वही हुआ जो होता आया है. इस समाज के दरिंदों ने अपनी जिद के आगे उसकी जान की कोई कीमत नहीं समझी.
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वहीं केरल में एक नाबालिग के साथ उसके पिता और सौतेले पिता ने एक साल तक बलात्कार किया. गौरतलब है कि केरल में एक 17 साल की नाबालिग के साथ उसके पिता, सौतेले पिता और अन्य सदस्यों ने एक साल तक बलात्कार किया. इस कांड में उसके पिता, मां और सौतेले पिता भी शामिल थे. पुलिस के अनुसार, एक ऑटोरिक्शा वाले ने इस लड़की को रात में सड़क पर देखा था. इसके बाद वह उसे पुलिस स्टेशन लेकर पहुंचा जहां पर जब महिला पुलिसकर्मी ने लड़की से पूछताछ की तो बलात्कार की बात सामने आई.
इधर राजस्थान की राजधानी जयपुर में शराब के नशे में पति के केरोसिन उड़ेलकर आग लगाने पर गंभीर रूप से झुलसी विवाहिता ने शुक्रवार देर रात दम तोड़ दिया. आप भी सोच रहे होंगे कि ये क्या है, क्या स्थिति हो गई है हमारे समाज की? किस दिशा में जा रहा है ये समाज. आज जिधर देखिए उधर बस ये ही देखने को मिलेगा कि किसी ने लड़की को जला दिया, किसी ने उसके साथ बलात्कार कर दिया और तो और हद तो तब हो जाती है जब ये सुनने को मिलता है कि बाप ने सगी बेटी के साथ बलात्कार किया. ये सब क्या है? आज महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं चाहे वो उनका घर ही क्यों न हो.
आज हम भारत के विकास की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं जबकि देश की आधी आबादी यानि नारी को जब हम सही हक तक नहीं दे रहे हैं तो ये सभी दावे खोखले प्रतीत होते हैं.
देश का विकास तब तक नहीं होता जब तक महिलाओं को उनका उचित अधिकार नहीं मिलता. हम भारत को अमेरिका बनाना चाहते हैं परन्तु क्या आपने कभी अमेरिकी और भारतीय महिलाओं की तुलना कर के देखा है. दोनों में जमीन-आसमान का फर्क है. क्योंकि वहां की नारियों को उनका हक, अधिकार और समाज के तरफ से सुरक्षा सब मिलती है पर यहां तो रक्षक ही भक्षक बन कर घूमते हैं तो ये सब उम्मीद ही बेकार है.
हमारे समाज को अपनी दकियानुसी सोच बदलनी होगी. ज्यादातर पुरुष महिलाओं को खुद से निम्न समझते हैं परन्तु वो ये नहीं समझते कि उनकी माता भी महिला है और वे हवा में प्रकट नहीं हुए हैं. तो फिर वो क्यों नारी पर इतना जुल्म करते हैं? क्यों हमेशा उनकी इज्जत से खेलते हैं? अगर देखा जाए तो विज्ञान के अनुसार महिलाएं पुरुषों से ज्यादा विकसित हैं लेकिन पुरुष समाज ये मानने के लिए तैयार नहीं है. जहां तक उच्च और निम्न होने का सवाल है तो जब भगवान ने भेद नहीं किया तो ये समाज कौन होता है इन दोनों में भेद करने वाला.
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