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एक महिला जिसने महिलाओं के वजूद को नया रास्ता दिखाया

स्त्री दर्पण
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खेल, पढ़ाई, बातें बनाना जैसी छोटी बातें हों या विज्ञान, व्यापार, राजनीति या किसी भी समाजिक मुद्दे पर बहस करना हो, वह हर जगह टक्कर दे रही है. जुनून और साहस में नित नए आयाम बनाना उसकी फितरत है. समाज के लिए उन्नति का नया रास्ता है वह, नए समाज के निर्माण का नया पथप्रदर्शक बनकर उभरी है वह.

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mrinal pandeyमहिलाओं के लिए आज कोई क्षेत्र नया नहीं है. वह हर क्षेत्र में आगे बढकर नाम कमा रही हैं. यहां तक कि जिन क्षेत्रों पर पहले पुरुषों का अधिकार समझा जाता था, उन क्षेत्रों को भी महिलाएं न केवल अपना रही हैं, बल्कि वहां नाम भी कमा रही हैं. पत्रकारिता एक ऐसा ही क्षेत्र है और मृणाल पांडे पत्रकारिता जगत में महिलाओं की गहरी पैठ बनाने वाली ऐसी ही एक महिला की उदाहरण.


मृणाल पांडे का नाम याद आते ही शायद आपको हिंदुस्तान अखबार याद आता होगा. मृणाल पांडे को कार्यक्षेत्र से आप पारिभाषित करना चाहें तो कई नाम देंगे, एक प्रभावशाली महिला पत्रकार, एक उच्च कोटि की हिंदी साहित्यकार, भारत में हिंदुस्तान अखबार की संपादिका के तौर पर किसी बड़े अखबार की पहली महिला संपादिका, सामाजिक मुद्दों पर लिखने वाली एक उच्च कोटि की लेखिका, हिंदुस्तान की पूर्व संपादिका, प्रसार भारती की चेयरपर्सन और प्रसिद्ध साहित्यकार शिवानी की बेटी.

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मां शिवानी से मृणाल पांडे को साहित्य लेखनी की क्षमता विरासत में मिली लेकिन अपने निरंतर प्रयासों से इन्होंने इसे और संवारा.

मध्य प्रदेश में जन्मी मृणाल पांडे ने अंग्रेजी और संस्कृत साहित्य में शिक्षा ग्रहण की. लेखनी में उनकी पहले भी रुचि थी. उनकी पहली कृति ‘धर्मयुग’ में प्रकाशित हुई. इसके बाद उन्होंने लगातार लिखना शुरू किया और लेखनी को ही अपनी आजीविका का साधन भी बनाया. मृणाल पांडे पहली महिला हैं जो एक स्व-पोषित राष्ट्रीय अखबार की प्रधान संपादिका बनीं.


अपने संपादकीय काल में उन्होंने हिंदुस्तान अखबार को भारत का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला अखबार बनाया. न सिर्फ प्रिंट मीडिया, लेकिन स्टार और दूरदर्शन में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए भी उन्होंने काम किया. आज वे प्रसार भारती की चेयरपर्सन हैं. उन्होंने भारतीय पत्रकारिता जगत में, जहां पुरुषों का वर्चस्व था और जो महिलाओं के लिए निषेध माना जाता था, महिलाओं के लिए इसमें आगे बढ़ने का न सिर्फ मार्ग प्रशस्त किया वरन् यह धारणा भी तोड़ दिया कि पत्रकारिता जगत महिलाओं के लिए सही जगह नहीं है. आज अगर महिलाएं पत्रकारिता जगत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं तो मृणाल पांडे का इसमें अहम योगदान है.


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