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बस अब और नहीं सहूंगी सितम

स्त्री दर्पण
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swadharआज भी उसकी नींद अपनी मां के रोने की आवाज सुनकर खुली. रोज-रोज मां का रोना सविता को अच्छा नहीं लगता था. वह हमेशा यही सोचती थी कि कैसे अपनी मां को इस दुख से आजाद करूं? कैसे अपनी मां को पिता की मार से बचाऊं? यह सवाल उसके दिमाग में हमेशा गूंजता था. लेकिन हर बार उसके हाथ निराशा ही लगती थी. पिता द्वारा मां की पिटाई का सिलसिला लंबे समय तक चलता रहा. लेकिन उस दिन तो हद हो गई जब उसके पिता की मार से उसकी मां बेहोश हो गई. उस दिन सविता से रहा नहीं गया. उसने अपनी शिक्षिका से अपनी समस्या के बारें में बात की और उसकी शिक्षिका ने उसे स्वाधार योजना के बारें में बताया.


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इसके बाद सविता ने स्वाधार योजना का लाभ उठाया और अपनी मां को ले कर वहां से चली गई. बाद में उसके पिता को अपने गलती का एहसास हुआ उन्होनें उन लोगों से माफी मांगी और उन को घर ले आए.


क्या है ये स्वाधार योजना



स्वाधार योजना भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा कठिन परिस्थितियों में रह रही महिलाओं के लाभार्थ प्रायोजित योजना है जिसका प्रारंभ 2001-02 में किया गया था. इस योजना के अंतर्गत वेश्यावृत्ति, रिहा कैदी, प्राकृतिक आपदा अथवा अन्य किसी भी कारण से बेघर और बेसहारा पीड़ित महिलाओं को स्वाधार गृह लाया जाता है तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है. यह परियोजना समाज कल्याण और महिला एवं बाल विकास विभागों, महिला विकास निगमों, शहरी निकायों के निजी, सार्वजनिक ट्रस्टों या स्वैच्छिक संगठनों आदि के माध्यम से चलाया जाता है.


इसके अंतर्गत घरेलू हिंसा की शिकार महिलाएं स्वाधार गृह में एक साल तथा दूसरी तरह यानि वेश्यावृत्ति से छुड़ाकर लाई गई या अन्य कारण से आने वाली महिलाएं तीन साल तक इसमें रह सकती हैं. 55 साल की बुजुर्ग महिलाओं को यहां पांच साल तक रहने की सुविधा मिलती है. इसके बाद उन्हें ओल्ड एज होम या दूसरे संस्थानों में भेज दिया जाता है.


इस योजना के तहत 18 साल तक की लड़कियां तथा 12 साल तक के लड़कों को स्वाधार गृह में अपनी मां के साथ रहने की इजाजत होती है. स्वाधार गृह में रहने वाली महिलाओं को रहने, खाने, कपड़े और हेल्थ चेकअप की सुविधाएं भी मिलती हैं.   इसके अलावा उनका सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी ख्याल रखा जाता है.

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योजना का लाभ


इस योजना के लागू होने के बाद से यह कहा जा सकता है कि कुछ महिलाओं में आत्मविश्वास काफी बढ़ा है. यह योजना उन महिलाओं के लिए भी एक वरदान साबित हुई है जो वेश्यावृत्ति,प्राकृतिक आपदा या फिर कोई अन्य कारण से बेघर और बेसहारा हो जाती हैं. लेकिन जागरुकता की कमी के कारण इस योजना का लाभ बहुत कम संख्या में महिलाएं उठा पा रही हैं.


यूं तो कई बार स्वाधार गृहों में औरतों के साथ छेड़छाड़ आदि की खबरें सामने आई हैं लेकिन इस सत्य से कोई मुंह नहीं मोड़ सकता कि स्वाधार योजना महिलाओं के लिए एक बेहद सशक्त योजना है. लेकिन कई लोग मानते हैं कि सरकार सिर्फ योजना बना कर बैठ गई है और उसने इसके प्रति जागरुकता के लिए कुछ विशेष कदम नहीं उठाए हैं. अगर सरकार इस योजना को समाज में एक बड़े परिवर्तन के लिए इस्तेमाल करना चाहती है तो उसे इसके लिए गांवों और शहरी ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से अभियान चलाना होगा.

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