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यहां मौत के घाट उतारा जाता है

स्त्री दर्पण
स्त्री दर्पण
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घर वाले बस रोते रहे और रोते हुए यही कहते रहे कि कम से कम बेटी को तो जिंदा छोड़ देते. यह दर्द भरी कहानी है ऐसे माता-पिता की जिनकी बेटी का बलात्कार तो किया गया और साथ ही उसे मौत के घाट उतार दिया गया. कैसा पुरुष प्रधान समाज है जो पहले तो गुनाह करता है और फिर गुनाह को छुपाने के लिए एक और गुनाह करता है.

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मासूम लड़कियों का शिकार

child girlमासूम लड़कियां शायद ही इस बात को समझ पाती हैं कि समाज में ऐसे पुरुष भी होते हैं जिन्हें औरत और मासूम लड़कियां सिर्फ हवस की पूर्ति का साधन ही नजर आती हैं. ऐसे पुरुषों के लिए नारी वो वस्तु होती है जिसका सिर्फ उपभोग किया जा सकता है. ऐसी ही कहानी है बिहार के किशनगंज जिले की जहां ग्रामीण लड़कियों को बहला-फुसलाकर उनके साथ बलात्कार के बाद बेरहमी से कत्ल कर दिया जाता था. मोहम्मद नकीम नाम का आरोपी ग्रामीण लड़कियों के साथ बलात्कार करके उन्हें फिर बाद में मौत के घाट उतार देता था.


गुनाह पर गुनाह

एक गुनाह को छिपाने के लिए एक और गुनाह करना मर्द समाज की आदत सी है क्योंकि उन्हें तो यही लगता है कि वो जितने भी गुनाह करें पुरुष प्रधान समाज उन्हें दंड नहीं देगा जिस कारण बलात्कार करने वाला अपराधी सीना चौड़ा करके समाज में रहता है पर वो नारी जिसका बलात्कार हुआ होता है उसकी जिन्दगी को पुरुष प्रधान समाज मौत के समान बना देता है.

एक नारी के साथ बलात्कार किया जाता है और फिर इसी गुनाह को छिपाने के लिए उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है. पुरुष प्रधान समाज एक गुनाह करता है और अपने गुनाह को छिपाने के लिए कोई भी हद पार कर देता है.


‘घर की इज्जत नीलाम’

नारी को घर की इज्जत कहा जाता है और जब उसी नारी का बलात्कार किया जाता है तो पुरुष प्रधान समाज कहता है कि घर की इज्जत नीलाम हो गई. हर हालात में नारी को ही दोष दिया जाता है चाहे उसने गुनाह किया हो या नहीं. जब किसी पुरुष में अन्य पुरुष के प्रति क्रोध की भावना जाग्रत होती है तो वो अपना क्रोध पुरुष पर नहीं बल्कि उसकी बहन, मां या पत्नी पर बलात्कार करके निकालता है. पुरुष प्रधान समाज ने नारी को इस हद तक कमजोर समझ रखा है या बना रखा है कि वो अपनी शारीरिक शक्ति का जोर सिर्फ नारी पर ही उतार पाता है. वास्तव में तो सच यह है कि पुरुष प्रधान समाज ना तो शारीरिक स्तर पर मजबूत है और ना ही मानसिक स्तर पर क्योंकि यदि वो मानसिक स्तर पर मजबूत होता तो यह समझ पाता कि जब एक नारी उसे जन्म दे सकती है तो फिर कैसे वो किसी भी पुरुष से कम स्तर की हो सकती है.

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Tags: women and society in india, women and society, women empowerment in india, नारी, महिला. औरत, मासूम लड़कियां

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