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वियतनाम युद्ध इतिहास का एक दर्दनाक सच है. यह युद्ध 1 नवंबर 1955 से 30 अप्रैल 1975 तक 20 वर्षों तक चला. वास्तव में, यह सैन्य संघर्ष था- जिसमें एक तरफ उत्तरी वियतनाम के साथ चीन की सेना थी, वहीं दूसरे पक्ष में दक्षिण वियतनाम के साथ अमेरिका की सेना खड़ी थी. उत्तरी वियतनाम, अमेरिका की वायु – मारक क्षमता से भलीभाँति परिचित थी फिर भी उसने “लाओस” (एशिया का दक्षिण पूर्वी देश ) की धरती को युद्ध क्षेत्र निश्चित किया. जो इस युद्ध का सबसे अधिक हानिप्रद निर्णय रहा जिसके फलस्वरूप अमेरिका ने सन 1964 से 1973 तक लगातार नौ साल तक “लाओस” पर 20 लाख टन से अधिक बम गिराये जिसने “लाओस” को बारूद के ढेर में तब्दील कर दिया. वियतनाम युद्ध में जिस तरह से अमरीका ने लाओस के ऊपर बम गिराए उसके सबूत आज भी मिलते हैं. लोग आज भी अनएक्सप्लोडेड बम का प्रयोग रोजाना के लाइफ में कर रहे हैं.
इस भयंकर हमले ने लाओस की तस्वीर ही बदल डाली, चारों तरफ तबाही, दर्द की चीखें, दिल को दहला देने वाला नजारा था. इस लड़ाई में 58000 सैनिक मारे गए और 3 लाख निर्दोषों को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. अंततः सभी जानते हैं ऐसे युद्धों का परिणाम सिर्फ तबाही होती, जिसका भुगतान आने वाली अनेक पीढ़ियों को करना पड़ता है.
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इस युद्ध के दौरान ऐसे अनेक बच्चों ने जन्म लिया जिनकी माँ वियतनाम से थी और पिता अमेरिकन सैनिक. युद्ध समाप्ति पर, दो बच्चियों को सड़को पर भटकते पाया गया , उनसे पूछे जाने पर मालूम चला वो माता – पिता शब्द से भी परिचित नहीं हैं. इंसानो से अधिक वो बम से परिचित हैं, बम और मिसाइलों देखकर उनको तनिक भी आश्चर्य नहीं होता. इस स्थिति में कुछ बच्चों को अनाथ -आश्रम का सहारा मिला जिसकी मदद से कुछ बच्चे अपने अभिवावकों से मिलने मौका मिला.
युद्ध के परिणाम स्वरुप लाओसवासी बेघर और बिन परिवार रहने को मजूबर हो गए. शारारिक और मानसिक रूप से भी वहाँ के लोग प्रभावित हुए कोई अपाहिज हो गया तो किसी ने आँखों की रौशनी गँवा दी. बर्बादी के इस नाजुक दौर में फ्रांस ने दरियादिली दिखाते हुए वियतनाम के बच्चों को फ्रांस की नागरिकता दी , जिसके चलते अनेक अभिवावक सामने आये और ऐसे बच्चों को अपनी संतान के रूप में स्वीकार किया. अनेक लोगों के उजड़े हुए आशियाने फिर से वापस मिल गए और नये वातावरण में बीता हुआ कल भुलाकर शान्ति का जीवन जीने का प्रयास में जुट. नयी उम्मीदें आँखों में चमकने लगी, तबाही और बर्बादी का मंजर देखने वाली आँखें सपने देखने लगी. भविष्य में विश्व के समस्त देशों को युद्ध पर पूर्ण विराम लगते हुए मित्रता का संचार करना होगा...Next
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