Menu
blogid : 14887 postid : 5

Nawaz Sharif: पाक से रिश्ते सुधरने के आसार

International Affairs
International Affairs
  • 94 Posts
  • 5 Comments

पीएमएल-एन) के इस चुनाव में बहुमत के करीब सीट पाने के आसार इस पार्टी और नवाज शरीफ को तीसरी बार पाकिस्तान की सत्ता संभालने का मौका मिलने की उम्मीद बना रहे हैं. पीएमएल-एन (PML-N) इस बार के एसेंबली चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी और इमरान खान (Pakistani politician, celebrity and former cricketer) की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) तीसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. सत्ताधारी पीपीपी दूसरे स्थान पर खिसकती नजर आ रही है.



गौरतलब है कि इस बार के चुनाव में तालिबान की आतंकी धमकियों और चुनाव के लिए खौफजदा माहौल बनाने की इसकी कोशिश को नजरअंदाज करते हुए आम जनता ने जमकर मतदान में हिस्सा लिया. पिछली बार जहां मतदान का प्रतिशत 44% था वहीं इस बार यह सीधे 60% पर पहुंच गया. तालिबान (Taliban) के खौफ को परे रख जिस उत्साह और बहादुरी से पाकिस्तान की आवाम ने मतदान में हिस्सा लिया वह काबिले तारीफ है. यह चुनाव पाकिस्तानी आवाम का जम्हूरियत में बढ़ते विश्वास का प्रतीक है. धर्म और आतंक के साए में पानी, बिजली, अशिक्षा जैसी मूलभूत जरूरतों के अभाव से जूझते आवाम द्वारा चुनाव में उत्साहपूर्वक की गई यह भागीदारी साफ दिखाती है कि मतदान के अपने अधिकार को और इस मतदान की शक्ति को वह समझने लगे हैं और विश्व के अन्य देशों की तरह अपने मुल्क में भी जम्हूरियत को मजबूत कर वह विकास की ओर बढ़ना चाहते हैं. नेशनल एसेंबली के अलावा सिंध, पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में हुए प्रांतीय चुनाव में मतदाताओं ने बेखौफ अपने मताधिकार का प्रयोग किया.



यह चुनाव पाकिस्तान के लिए दो और तरह से खास होगा. एक तो यह कि 1999 में सेना द्वारा तख्तापलट के बाद लंबे वक्त का निर्वासन झेलकर 13 वर्षों के बाद तीसरी बार सत्ता में नवाज शरीफ की वापसी और दूसरा, इस बार के चुनाव प्रचारों में ज्यादातर पार्टियों ने अपने चुनावी भाषणों और एजेंडे में पहली बार आवाम की मूलभूत जरूरतों और परेशानियों, बिजली-पानी का संकट सुलझाने, शिक्षा का प्रसार करने, विदेश व्यापार-विदेश नीति में सुधार और सबसे खास कि भारत से कश्मीर मुद्दे पर बातचीत और रिश्ते सुधारने की बात की. मतदाताओं ने भी मतदान के द्वारा उनके वादों का खुलकर स्वागत किया. यह चुनाव एक प्रकार से प्रमाण है इस बात का कि पाकिस्तानी जनता आतंकवादी गतिविधियों से दूर शांति और सद्भावना की जिंदगी गुजारना चाहती है, विश्व के नक्शे पर अपनी एक सभ्य पहचान बनाना चाहती है. नवाज शरीफ की भावी प्रधानमंत्री की तय हो चुकी भागीदारी में पाकिस्तानी आवाम का भारत के प्रति रुख भी जाहिर करता है.



Delhi–Lahore Bus Service) और समझौते के बाद कारगिल युद्ध (Kargil war) के बारे में वे कहते हैं कि वह सब मुशर्रफ की निजी सोच का नतीजा था. तब के सेना प्रमुख का सेना पर भी बहुत असर था और सेना तथा सरकार के बीच खींचतान में उन्होंने खुद अपनी सत्ता भी गंवाई. इस बार के कार्यकाल में इस अखबार के माध्यम से वे भारतीय जनता को पाक सरकार द्वारा रिश्ते सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने का भरोसा दिलाते हैं. क्योंकि अपने चुनावी वादों में भी उन्होंने भारत के साथ रिश्तों में सकारात्मक सुधार को प्रमुखता से उठाया और पाक की आवाम ने उन्हें निर्विवाद अपना नेता चुना है तो जाहिर है कि पाक आवाम भारत के साथ कैसे रिश्ते चाहती है. शायद लाहौर यात्रा से नवाज के जुड़े होने से उन्हें नवाज के वादों पर और नेताओं से ज्यादा भरोसा हो. जाहिर है इसी जनादेश के बल पर इतनी मुश्किलों से देश की सत्ता में वापसी के साथ खोयी हुई प्रतिष्ठा वापस पाकर नवाज इस जनादेश की कीमत अच्छी तरह समझते होंगे और इसे जाया होने नहीं देंगे. पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की समस्या से ग्रस्त भारत के लिए यह एक सुखद संकेत है. जीत पर दिए बधाई में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा नवाज को भारत आने का न्यौता भी वे स्वीकार कर चुके हैं. उम्मीद की जा रही है कि नवाज की यह तीसरी पारी पाक के सुखद भविष्य के साथ भारत के लिए भी सुखद रहेगी.



बहरहाल हम पाकिस्तान (Pakistan) की घरेलू चुनौतियों को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते. हमे भूलना नहीं चाहिए कि दशकों से सैनिक शासन की मार झेल रहा पाक अपनी मूलभूत जरूरतों को भी जुटा पाने में भी असमर्थ है. ऊर्जा, पानी का संकट यहां एक बड़ा संकट है. 18 से 20 घंटे यहां बिजली की कटौती की जाती है तो सहज ही यहां के हालात का अनुमान लगाया जा सकता है. बेरोजगारी और अशिक्षा से उबरने की चुनौतियां तो हैं ही इसके पास, अरबों डॉलर का कर्ज भी है. इन सबसे निबटने की नीतियां बनाते हुए इसे सबसे महत्वपूर्ण तालिबान द्वारा संचालित आतंकवाद से निबटने की नीतियां भी बनानी हैं जो सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है. इस आतंकवाद ने पाकिस्तान को घरेलू स्तर पर हर जगह कमजोर बनाया है. इसके अल्पसंख्यकों की समस्याएं भी हैं जिससे निबटना नवाज की टीम के लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण होगा. हमें भूलना नहीं चाहिए कि यह खुद भी अपनी घरेलू परेशानियों और घरेलू आतंकवाद से जूझ रहा है और इसके लिए विश्व समुदाय से अलग-थलग पड़कर इस देश ने आतंकवाद की बहुत बड़ी कीमत चुकाई है. विदेशी व्यपार और अन्य जगहों पर विश्व समुदाय से बिल्कुल अलग हो चुके पाकिस्तान की सबसे बड़ी चुनौती होगी अपने देश की समस्याओं को सुलझाते हुए विश्व-पटल पर भी अपनी इस आतंकवादी छवि को तोड़ना. नवाज की सरकार को इसके लिए बहुत वक्त और धैर्य की जरूरत होगी. हालांकि इस चुनाव ने पाकिस्तान को उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ सकने का एक सुखद सपना दिखाया है फिर भी अभी इसके सामने इतनी सारी कठिन चुनौतियां हैं कि सब कुछ तुरंत निर्बाध रूप से ठीक हो जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती. पर कहते हैं कि शुरुआत अच्छी हो तो सब अच्छा होने की उम्मीद की जा सकती है. इस चुनाव से पहली बार सत्ता बदलने की ताकत और अधिकार का प्रयोग कर जम्हूरियत को हरी झंडी दिखा चुकी पाक की आवाम ने एक अच्छी शुरुआत की है. उम्मीद है कि वक्त भले ही लग जाए पर भारत और विश्व को ही नहीं, स्वयं पाक को भी अपनी आतंकी छवि से छुटकारा मिलेगा.



1999 Taliban (1999 (Delhi–Lahore Bus Service),पाकिस्तान Pakistan).


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply