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प्लेन क्रैश होने पर इस टेक्नोलॉजी से बचाई जा सकेगी यात्रियों की जान

International Affairs
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यूक्रेन के एक एविएशन इंजीनियर ने अपनी जिंदगी के तीन साल एक ऐसी खोज में लगाई जो अगर कामयाब हुई तो कई यात्रियों की जान बचाई जा सकती है. इस इंजीनियर का नाम है व्लादिमिर तातारेंको.


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आज विश्व के बड़े-बड़े इंजीनियर इस काम में जुड़े हुए हैं कि बढ़ती दुर्घटना के बीच कैसे प्लेन यात्रियों को ज्यादा सुरक्षित और बेहतर माहौल दिया जाए. व्लादिमिर तातारेंको ने एक ऐसी टेक्नोलॉजी ईजाद की है जिसकी सहायता से इमरजेंसी के दौरान प्लेन पैसेंजर्स की जिंदगी बचाई जा सकेगी.


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इस नई टेक्नोलॉजी के तहत अगर प्लेन क्रैश होता है तो पैराशूट के जरिए सेफ लैंडिग कराई जा सकेगी. दरअसल इस टेक्नोलॉजी में प्लेन में डिटेचेबल यानी अलग हो सकने वाले पैसेंजर केबिन लगाए जाएंगे जो हादसे के दौरान या इमरजेंसी के समय प्लेन से अलग हो जाएगा और केबिन की छत पर लगे पैराशूट की मदद से केबिन की जमीन या पानी पर सेफ लैंडिग कराई जा सकेगी.


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इस नई टेक्नोलॉजी की केबिन के डिजाइन में केवलर और फ्यूजलेग, विंग्स, फ्लैप्स, स्पॉइलर्स के लिए कार्बन कंपोजिट का इस्तेमाल किया गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि पैराशूट जब इसे लेकर लैंड करें तो तुलनात्मक रूप से कम वजन हो. इसमें रबर ट्यूब्स भी लगाई जाएगी, ताकि जमीन और पानी पर लैंडिंग के समय रबड़ फुल जाए और झटका न लगे.


व्लादिमिर का कहना है कि अगर प्लेन के अंदर धमाका या उस पर अटैक होता है, तब यह टेक्नोलॉजी काम नहीं करेगी. व्लादिमीर ने पिछले साल ही इस ‘एस्केप कैप्सूल सिस्टम’ का पेटेंट रजिस्टर्ड कराया है. हालांकि कुछ लोग व्लादिमिर की इस टेक्नोलॉजी पर सवाल भी उठा रहे हैं कि इस नई टेक्नोलॉजी के आने से संभव है कि यात्री किरायों में भी वृद्धि होगी…Next


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