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संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक एक ऐसे संकट को झेलने के लिये मजबूर हो रहे हैं जिसका आधार समय-समय पर वहाँ के नीति-निर्माताओं रखते आये हैं. यह संकट वहाँ के स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ा है. दरअसल वर्ष 2006 के बाद पहली बार वहाँ यौन संचारित रोगों और उससे पीड़ित रोगियों के आँकड़ों में आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गयी है. बीमारियों की रोकथाम से संबंधित संस्था ‘सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन’ ने इस बढ़े हुए आँकड़ों को भयावह बताया है.
वर्ष 2006 के बाद वहाँ पहली बार सूजाक (गोनोर्रिया), साइफिलिस जैसी बीमारियों से पीड़ित रोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. बीते वर्ष में यौन संचारित रोग जैसे कमेडिया के करीब 14 लाख मामले सामने आये हैं जबकि वर्ष 1994 के बाद सायफिलिस के रोगियों की संख्या में 15.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है. वहीं सूजाक के मामलों में 5.1 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई है. सीडीसी के आँकड़ों के अनुसार कमेडिया अपने बढ़े आँकड़ों के साथ उस बीमारी में शामिल हो चुकी है जिसके पीड़ितों के सबसे अधिक मामले सामने आये हैं.
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क्या हैं कारण?
कुछ अधिकारियों के मुताबिक एक पूँजीवादी देश अमेरिका में इस स्थिति की नींव वहाँ के नीति-नियंताओं ने रखी है. यौन संचारित रोगों के मामलों में वृद्धि का कारण स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी राशि की कटौती होना है जिसका मतलब है कि अमेरिकी बजट में सरकारी अस्पतालों के लिये कम बजट आबंटित की जाती रही.
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कम राशि मिलने के कारण यौन संचारित रोगों से बचाव और उसके रोकथाम के लिये चलाये जा रहे अभियानों पर नकारात्मक असर पड़ा. वहाँ के अधिकांश नागरिकों को यह पता भी नहीं होगा कि यौन संचारित रोगों से पीड़ित रोगियों की व्यक्तिगत देखभाल के लिये पैसा राज्य और संघीय बजट से मिलता रहा है. सरकारी सहायता के अभाव में निश्चित रूप से ऐसे रोगियों की देखभाल में गिरावट आयी जिसका सीधा असर रोगियों के आँकड़ों पर पड़ा.
कौन है ज़द में?
सीडीसी के अनुसार इन रोगों के ज़द में सबसे अधिक युवा और महिलायें हैं. हालांकि, समलैंगिकों में भी इसकी बढ़ोत्तरी देखी गयी है.
सीडीसी की सलाह
इससे बचने के लिये सीडीसी नागरिकों को सलाह जारी कर रहा है. इस परामर्श के अनुसार 25 वर्ष से कम आयु वाले लोगों के लिये कमेडिया और सूजाक की साल में एक बार जाँच करानी चाहिये जबकि समलैंगिकों को नियमित अंतराल में चिकित्सकों से सलाह लेनी चाहिये.Next….
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