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लड़ाई में सैनिकों को मिली भारी संख्या में सोने की ईंटें

International Affairs
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सारे विश्व के लोग अपने टेलीविजन स्क्रीन पर अमेरिकी विमानों को इराक के नगरों पर बम बरसाते देख रहे थे. 19 मार्च 2003 से शुरू हुआ यह सिलसिला 1 मई 2003 तक चला. विश्वभर के टीवी चैनल इराक युद्ध के ऐसे फुटेज दिखा रहे थे कि यह युद्ध किसी हॉलीवुड फिल्म की तरह दिखाई दे रहा था. लोग बिना यह सोचे कि ये बम हजारों इंसानी जिंदगियों को खत्म कर रहे हैं, इन दृश्यों को विस्मय और रोमांच से देख रहे थे.


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युद्ध के उपरांत किए गए विभिन्न सर्वे बताते हैं कि इस युद्ध में 1 लाख से लेकर 10 लाख लोगों की मृत्यु हुई. आजतक लोगों के मन में यह सवाल बना हुआ है कि आखिर अमेरिका ने इराक पर यह युद्ध क्यों थोपा. क्योंकि जिन तथाकथित ‘सामूहिक विनाश के हथियारों’ के लिए लाखों लोगों की जाने ली गईं वह तो इराक में कहीं नहीं मिले. खैर अमेरिका और उसके सहयोगी राष्ट्रों को इस युद्ध से बहुत कुछ हासिल हुआ. सोने के ईंटों पर बैठे इन अमेरिकी सैनिकों की तस्वीरें साफ बता रही हैं कि अमेरिका को इस युद्ध से क्या हासिल हुआ.


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ऐसा माना जाता है कि इराक पर अमेरिका की नेतृत्व वाली नाटो सेना के आक्रमण के दौरान इस देश से 30 ट्रिलियन डॉलर की कीमत का तेल और 20 ट्रिलियन डॉलर की कीमत का सोना लूट लिया गया था. अमेरिकी सैनिकों ने सोने के ईंटों से भरे तेल टैंकरों में बैठकर फोटो खिंचवाईं. युद्ध खत्म होने के बाद अमेरिका ने घोषणा किया कि इराकी जनता को सद्दाम हुसैन के तानाशाही शासन से मुक्ति मिल गई है. टीवी पर नाटो सैनिकों की मौजूदगी में लोगों द्वारा सद्दाम की विशाल मूर्ति को गिराते दिखाया गया. बाद में यह बात सामने आई की मूर्ति गिराने का यह कार्यक्रम अमेरिका द्वारा प्रायोजित था. अगर इस बात को सच भी मान लिया जाए कि अमेरिका ने लाखों इराकी नागरिकों को मारकर जिसमें औरतें और मासूम बच्चे भी शामिल थे, इराक को मुक्त कराया तो इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि हथियारों का सबसे बड़ा व्यपारी देश अमेरिका ने इसकी कीमत भी वसूली.



2011 में इराक ने अमेरिका से तेल से अर्जित 17 बिलियन डॉलर की मांग की जो 2003 के युद्ध के दौरान अमेरिकी संस्थाओं द्वारा चुरा लिए गए थे. डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार इराक की संसद ने संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखकर इराक डेवलपमेंट फंड से गायब हुए इस रकम का पता लगाने और इसे वापस हासिल करने में मदद करने की गुहार लगाई थी.


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ऐसा नहीं है कि इराक युद्ध के दौरान इस देश से सिर्फ दौलत की लूट हुई. युद्ध की अफरातफरी में इस देश के इतिहास और संस्कृति को भी लूटा गया. युद्ध के दौरान इराक के राष्ट्रीय संग्राहालय सहित कई अन्य स्थानों से बेशकीमती और दुर्लभ कलाकृतियां और ऐतिहासिक धरोहरों की चोरी की गई. इसमें अमेरिकी और अन्य नाटो सैनिक भी शामिल रहे. इस दौरान कई अमेरिकी सैनिक और नागरिकों को एयरपोर्ट पर पकड़ा गया जो इन कलाकृतियों की तस्करी करने की कोशिश कर रहे थे.


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इराक पर नाटो के आक्रमण की समाप्ति के बाद अमेरिकी नेतृत्व वाली इराक सर्वे ग्रुप इस निष्कर्ष पर पहुंची की इराक ने अपना परमाणु, रसायनिक और जैविक हथियारों का कार्यक्रम सन 1991 में ही बंद कर दिया था. Next…


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