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कैंसर से जूझने वालों की तादाद बीते दशकों के मुकाबले बढ़ी है. कैंसर ने अपने विस्तार के लिये सारी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को तोड़ दिया है. जर्मनी के उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में एल्बे नदी के समीप वीवैल्सफ्लैथ नाम का एक गाँव है जहाँ कैंसर ने लगभग हर घर को अपने चपेट में ले लिया है.
करीब 1,500 की आबादी वाले इस गाँव में कैंसर का फैलाव औसत से 50 प्रतिशत अधिक है. इस गाँव में कैंसर के बीज वर्ष 1998 में ही पड़ गये थे. ग्रामीणों के लिये इससे ज्यादा बुरी बात यह है कि प्रशासन के लिये वो उपेक्षित हैं. इस गाँव में कैंसर की जो प्रकृति मिली है उसे किसी विशेष दायरे में बाँध कर नहीं देखा जा सकता. यहाँ स्तन, फेफड़े, गर्भाशय आदि के कैंसर रोगी मिले हैं. माना जाता है कि इस गाँव के कैंसर के चपेट में आने का कारण नजदीक लगे तीन नाभिकीय संयंत्र हैं.
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तीन नाभिकीय संयंत्रों के अलावा यहाँ एक शिपयार्ड भी है जहाँ जहाजों पर अत्यधिक जहरील स्प्रे किये जाते हैं. इसके कारण इस गाँव के ग्रामीण चिंतित हैं लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है. कैंसर कोशिकाओं के इतने बड़े स्तर पर प्रसार से विशेषज्ञ भी किंकर्तव्यविमूढ़ हैं. इस विषय पर विशेषज्ञों द्वारा कई शोध किये गये. सारे कारकों जैसे नाभिकीय संयंत्र, शिपयार्ड पर शोध के अलावा कैंसररोगी की जीवनशैली पर भी अध्ययन किया गया जिसमें किसी नतीजे पर नहीं पहुँचा जा सका है. वहाँ के महापौर अपनी दो बीवियों को कैंसर के कारण खो चुके हैं. उनकी माँग है कि इस पर बर्लिन आयोग अध्ययन करे और मामले की तह तक पहुँचने की ठोस कोशिश करें.Next….
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